उप्र क्रिकेट संघ को नये साल में छुटाना होगा बदनामियों का दाग, लानी होगी पुरानी छवि
- पिछले वर्ष अण्डंर-23 को छोड दिया जाए तो कोई भी टीम नहीं कर सकी कोई खास प्रदर्शन
कानपुर, 01 जनवरी (हि.स)। साल 2023 उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के लिए केवल अण्डर-23 की टीम के चैम्पियन बनने के अलावा किसी अन्य चीज के लिए पहचाना नहीं जाएगा। इस बीते साल में प्रदेश क्रिकेट संघ में एक ट्राफी को छोड़कर केवल बदनामियों का अम्बार ही ट्राफियों के रूप में संघ के कार्यालय में जमा होता गया। इसके अलावा क्रिकेट में कुछ अधिक उपलब्धि संघ की कोई भी टीम नहीं पा सकी जबकि संघ के भीतर मचे घमासान के चलते कई मामले पुलिस की दहलीज तक अवश्य ही पहुंच गए। ऐसे में उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ को नये साल में जहां एक तरफ बदनामियों के दाग छुटाने की चुनौती होगी तो वहीं टीम के अच्छे प्रदर्शन पर रणनीति बनानी होगी।
गौरतलब है प्रदेश क्रिकेट संघ अपने पुराने ढर्रे में ही गतिविधियों को अंजाम देने में मशगूल दिखायी दे रहा है। हेड कोच सुनील जोशी पर लाखों रुपए खर्च करने वाले संघ की सीनियर टीम भी किसी प्रकार की चैम्पियन बनने के आसपास नहीं पहुंच सकी। यूपीसीए के सूत्र बतातें हैं कि सुनील जोशी पर संघ के आला अधिकारी के साथ ही कई सदस्यों की मेहरबानी के चलते उन्हे दोबारा टीम से जोड़ा गया है। हालांकि क्रिकेट में खराब दशा संघ के लिए कोई नई बात नहीं है। कई सालों से ऐसा होता चला आ रहा है। अब तो क्रिकेट की कमान भी ऐसे लोगों के हाथ में दे दी गयी है जिनपर वर्तमान पदाधिकारियों ने भ्रष्टाचार का आरोप लगवाकर हटवा दिया था। अगर 2021 के अपवाद को छोड़ दिया जाए जिसमें यूपी की टीम विजय हजारे एक दिवसीय क्रिकेट टूर्नामेन्ट में मुम्बई से खिताबी मुकाबले में पराजित हो गयी थी लेकिन इस बार टीम वहां तक भी नहीं पहुंच सकी और बदनामी अलग मोल ले ली। इस बार संघ के भीतर मचा घमासान छीछालेदर तक पहुंच चुका है जो इससे पहले शायद ही कभी पहुंचा हो। अब तो इस बार महिला क्रिकेट से जुडीं पदाधिकारी और कर्मचारी भी एक दूसरे के कपड़े फाड़ने पर उतारू हो गयी जो क्रिकेट जगत में संघ की बदनामी के लिए विशेष तौर पर पहचाना गया। साल का सबसे अधिक रोमाचंक किस्सा संघ के संस्थापक सदस्य और वर्तमान में सत्ता में काबिज गुट के बीच तनातनी का रहा जिसमें संरक्षक के पास तक मामले को ले जाया गया। आडियो और वीडियो के वायरल होने के बाद यूपीसीए में चयनकर्ताओं और उनके द्वारा नियुक्त सुपर एजेन्टों की पोल भी खुलकर देखने को मिली जिससे यह भी साबित हो गया कि खिलाडियों की चयन प्रक्रिया कई सालों से धांधली बरकरार है।
यही नहीं संघ के भीतर चल रहे घमासान में दो पूर्व सचिवों के वरदहस्त सुपर सेलक्टर और उनके एजेन्ट भी प्रभावी ढंग से कार्य करते रहे जिसका खामियाजा टीम में बेहतरीन खिलाडियों की आमद न के बराबर रही। दिल्ली और हरियाणा और उससे सटे प्रान्तों से क्रिकेटरों का आयातित किया जाना भी ये साल यूपीसीए के लिए खासा पहचाने जाने वाला साल साबित हो गया। हांलाकि अभी भी कुछ मामले कहीं पुलिस तो कहीं राजभवन के साथ ही न्यायालय के दरवाजों पर खड़े है जो वक्त का इन्तजार कर रहें हैं। क्रिकेट जगत के लोग यह आशा जता रहे हैं कि साल 2024 यूपीसीए के साथ ही प्रदेश के क्रिकेटरों के लिए आशा से भरा साल हो और संघ की पुरानी छवि एक बार फिर से लौट आए।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय/बृजनंदन
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