यदि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही बर्बरता नहीं रुकती तो हिंदू भी स्वतंत्र हिन्दूभूमि की मांग करें : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

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वाराणसी,22 दिसंबर (हि.स.)। ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही बर्बरता पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि आज का समय मानवता की कसौटी का समय है। एक ओर जहां हम आध्यात्मिक उत्कर्ष की बातें करते हैं। वहीं, दूसरी ओर पड़ोसी देश बांग्लादेश से आ रही बर्बरतापूर्ण सूचनाएं हृदय को विदीर्ण कर रही हैं। ईश निंदा के मिथ्या आधारहीन आरोप में एक निर्दोष व्यक्ति दीपूचंद्र दास को उन्मादी भीड़ ने जिंदा जला दिया। यह केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं अपितु संपूर्ण मानवता के माथे कलंक है।

वाराणसी में प्रवास कर रहे शंकराचार्य ने सोमवार शाम को कहा कि धर्म कभी भी प्रतिशोध और हिंसा का मार्ग नहीं सिखाता। हिंसा के वशीभूत होकर किया गया यह कृत्य साक्षात् आसुरी प्रवृत्ति का परिचायक है। जो लोग निहत्थे और निर्दोष को अग्नि के हवाले करते हैं वे किसी भी धर्म के अनुयायी नहीं हो सकते । वे केवल मानवता के शत्रु हैं। बांग्लादेश प्रशासन की अक्षमता और वैश्विक समुदायों का मौन जघन्य अपराध में उनकी मूक सहमति जैसा प्रतीत होता है।

उन्होंने कहा कि अंतिम क्षण तक अपने धर्म पर अड़े रहने वाले पुण्यात्मा दीपचंद्र के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं। यद्यपि अग्नि ने उनके नश्वर शरीर को जला दिया है किंतु नैनं दहति पावक: के न्याय से उसकी आत्मा सदा अविनाशी है। हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह उस निर्दोष आत्मा को अपने सायुज्य में स्थान दें। साथ ही उस परिवार के प्रति जिसपर दुखों का यह वज्रपात हुआ है हम अपनी सहानुभूति प्रकट करते हैं। ईश्वर उन्हें इस पीड़ा को सहन करने का धैर्य और साहस प्रदान करें।

शंकराचार्य ने कहा कि हम स्पष्ट आह्वान करते हैं कि सभी सभ्य समाज और अधिक मौन नहीं रह सकता। यह समय केवल प्रार्थना का नहीं बल्कि न्याय के लिए हुंकार भरने का भी है। जब तक पीड़ित परिवार को न्याय और दोषियों को उनके कुकृत्य का कठोरतम दंड नही मिल जाता तब तक धर्मसत्ता का यह स्वर शांत नहीं होगा। शंकराचार्य ने कहा कि यदि मिलजुलकर आपस में नहीं रह सकते तो हम बांग्लादेश के हिंदुओं को बांग्लादेश में ही हिंदुस्तान से पाकिस्तान की मांग की तरह अपने लिए स्वतंत्र हिन्दूभूमि की मांग करने के लिए प्रेरित करना चाहेंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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