काशी तमिल संगमम: बीएचयू में शैक्षणिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम, वित्त चित्र का प्रदर्शन

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काशी तमिल संगमम: बीएचयू में शैक्षणिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम, वित्त चित्र का प्रदर्शन


काशी तमिल संगमम: बीएचयू में शैक्षणिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम, वित्त चित्र का प्रदर्शन


वाराणसी, 15 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चल रहे काशी तमिल संगमम 4.0 के तहत सोमवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू)के पं. ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में शैक्षणिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें तमिलनाडु से आए सातवें समूह (आध्यात्मिक दल) के साथ स्थानीय विद्वानों, कलाकारों, विद्यार्थियों और प्रतिनिधियों ने पूरे उतसाह से भागीदारी की।

शुरूआत भारत रत्न महामना पं. मदन मोहन मालवीय के मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित कर हुईं । इसके उपरांत बीएचयू कुलगीत की प्रस्तुति बीएचयू कला संकाय के स्वर-संगीत विभाग के विद्यार्थियों ने की। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, बीएचयू के प्रो. राजाराम शुक्ल ने किया। प्रो.शुक्ल ने काशी तमिल संगमम् 4.0 के उद्देश्यों को विस्तार से बताया। साथ ही उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सभ्यतागत एवं आध्यात्मिक सम्बंधों को सुदृढ़ करने में इसकी भूमिका को रेखांकित किया।

शैक्षणिक सत्र में बतौर मुख्य अतिथि वायलिन वादक प्रो. वी. बालाजी के प्रतिनिधि कलाकार ने संबोधन दिया। उन्होंने तमिलनाडु और काशी के बीच शास्त्रीय संगीत की ऐतिहासिक यात्रा का उल्लेख करते हुए 1960 के दशक से काशी में तमिल संगम की उपस्थिति को रेखांकित किया। उन्होंने काशी तमिल संगमम् के माध्यम से गंगा, यमुना, सरस्वती और कावेरी के प्रतीकात्मक संगम को बताया। कार्यक्रम में प्रो. संगीता पंडित, अधिष्ठाता, प्रदर्शन कला संकाय, बीएचयू ने “काशी की स्वर-संगीत विरासत” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया, जिसमें काशी की समावेशी और चिरंतन संगीत परंपरा पर प्रकाश डाला गया।

लेखक अक्षत गुप्ता ने काशी को सनातन की भूमि बताते हुए क्षेत्रीय भेद से ऊपर उठकर एकता का संदेश दिया तथा सनातन परम्पराओं के संरक्षण में काशी और बीएचयू की भूमिका को रेखांकित किया। कार्यक्रम के दौरान डॉ. कुमार, अम्बरीष चंचल एवं डॉ. जी. सी. पांडेय ने पं. ओंकारनाथ ठाकुर और काशी पर आधारित एक वृत्तचित्र का प्रदर्शन किया। इस वृत्तचित्र में पं. ओंकारनाथ ठाकुर के बीएचयू और भारतीय शास्त्रीय संगीत में अमूल्य योगदान को दर्शाया गया। इसके अतिरिक्त काशी तमिल संगमम् की यात्रा और बीएचयू से उसके सम्बंधों पर आधारित एक अन्य वृत्तचित्र का भी प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में ही “काशी की स्वर एवं ताल वाद्य परम्परा” विषय पर प्रो. राजेश शाह और प्रो. प्रविण उद्धव ने प्रस्तुतियाँ दी।डॉ. विधि नागर ने काशी में कथक की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्ता पर आधारित एक दृश्य-वृत्तचित्र प्रस्तुत किया, जिसके उपरांत शिव स्तुति पर आधारित कथक नृत्य प्रस्तुति हुई।

शैक्षणिक सत्र का समापन “काशी-दाक्षिणात्य शास्त्रार्थ परम्परा” के अंतर्गत “शब्दबोध प्रकरण” विषय पर विद्वत् शास्त्रार्थ से हुआ, जिसका नेतृत्व प्रो. बृजभूषण ओझा एवं संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के अन्य विद्वानों ने किया। इसके पश्चात तमिल प्रतिनिधिमंडल ने भारत कला भवन संग्रहालय का भ्रमण किया। जहाँ उन्होंने भारतीय इतिहास के विभिन्न कालखंडों से सम्बंधित कला वस्तुओं का अवलोकन किया ।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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