आईसीएआर-आईआईवीआर ने 24 प्रौद्योगिकियों में 47 लाइसेंस प्रदान किए, 80 लाख से अधिक राजस्व अर्जित

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आईसीएआर-आईआईवीआर ने 24 प्रौद्योगिकियों में 47 लाइसेंस प्रदान किए, 80 लाख से अधिक राजस्व अर्जित


वाराणसी में विशेष आईपी जागरूकता कार्यक्रम, 400 से अधिक प्रतिभागियों की सहभागिता

वाराणसी, 24 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) व भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) ने वाराणसी में बुधवार को “आईपीआर पोर्टफोलियो को सुदृढ़ करना” विषय पर एक दिवसीय बौद्धिक संपदा (आईपी) जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्देश्य वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों को बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण तथा कृषि अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में उभरती चुनौतियों के प्रति जागरूक करना था। कार्यक्रम में देशभर से 400 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधानों को किसानों, उद्योग और समाज के लिए उपयोगी प्रौद्योगिकियों में रूपांतरित करने के लिए बौद्धिक संपदा की प्रभावी सुरक्षा और रणनीतिक प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि आईसीएआर-आईआईवीआर ने अब तक 24 प्रौद्योगिकियों में 47 लाइसेंस प्रदान किए हैं, जिनसे 80 लाख रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित हुआ है। उन्होंने शोधकर्ताओं से संस्थान की दृश्यता और राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए सशक्त और सतत आईपीआर पोर्टफोलियो विकसित करने का आह्वान किया।

तकनीकी सत्र में डॉ. शिव दत्त, प्रधान वैज्ञानिक, आईपी एवं ट्रेडमार्क यूनिट, आईसीएआर, नई दिल्ली ने “कृषि में आईपीआर परिदृश्य” विषय पर व्याख्यान देते हुए पेटेंट, पौधा किस्म संरक्षण, ट्रेडमार्क और भौगोलिक संकेतक जैसी प्रणालियों की विस्तृत जानकारी दी तथा नवाचारों की सुरक्षा और प्रभावी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में आईपीआर की भूमिका पर प्रकाश डाला।

“प्रक्रिया नवाचार से बाजार शक्ति तक: सब्जी अनुसंधान को उच्च-मूल्य आईपी परिसंपत्तियों में रूपांतरण” विषय पर प्रो. गीता राय (मानव एवं आणविक आनुवंशिकी विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय) ने ऑनलाइन व्याख्यान दिया। उन्होंने नवाचार-आधारित अनुसंधान, ब्रांडिंग और व्यवसायीकरण के माध्यम से अनुसंधान निष्कर्षों को मूल्यवान बौद्धिक संपदा में बदलने की रणनीतियों पर जोर दिया।

इसके अलावा डॉ. अश्विनी सिवाल, एसोसिएट प्रोफेसर एवं समन्वयक, पेटेंट सेल, विधि संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय ने “कृषि में प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण” विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान प्रस्तुत किया।

वहीं, डॉ. एस. के. तिवारी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, आईसीएआर-आईआईवीआर ने “भारत में आईपीआर मुद्दे: संभावनाएं एवं करियर अवसर” विषय पर संबोधित करते हुए बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में उभरते करियर विकल्पों की जानकारी दी।

कार्यक्रम में डॉ. सुदर्शन मौर्य, डॉ. ए. एन. त्रिपाठी सहित संस्थान के अनेक वैज्ञानिकों और कर्मचारियों ने सक्रिय सहभागिता की। विभागाध्यक्षों, वैज्ञानिकों, शोध फेलोज तथा मीडिया प्रभारी डॉ. राकेश कुमार दुबे की भी उल्लेखनीय उपस्थिति रही। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. इंदिवर प्रसाद, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने किया।

यह कार्यक्रम जोनल टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट यूनिट (जेडटीएमयू), आईसीएआर-आईआईवीआर के तत्वावधान में आयोजित किया गया तथा इसे काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रायोजित किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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