मोतीझील में श्रद्धा के साथ मनाया गया गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों का शहीदी दिवस

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मोतीझील में श्रद्धा के साथ मनाया गया गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों का शहीदी दिवस


मोतीझील में श्रद्धा के साथ मनाया गया गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों का शहीदी दिवस


कानपुर, 23 दिसंबर (हि.स.)। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सिख वेलफेयर सोसायटी, उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी एवं सिख व्यापारी वेलफेयर एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में श्री गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों का शहीदी दिवस मोतीझील में श्रद्धा एवं गरिमा के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ रेहरास साहिब पाठ से हुआ। इसके उपरांत रोज गार्डन स्त्री सत्संग सभा एवं कुलविंदर कौर स्त्री सत्संग सभा द्वारा भावपूर्ण गुरवाणी गायन किया गया। इसके बाद बच्चों में सिख इतिहास एवं संस्कारों के प्रति समर्पित संस्थाओं मीरी पीरी बालसखा परिवार एवं गुरु नानक फुलवारी जत्था द्वारा बच्चों ने चार साहिबजादों पर आधारित कविताएं एवं प्रस्तुतीकरण देकर संगत को भावविभोर कर दिया।

सोसाइटी के प्रदेश अध्यक्ष सरदार गुरविंदर सिंह छाबड़ा (विक्की) ने मंगलवार को बताया कि श्री गुरु गोविंद सिंह जी के लगते जिगर चार साहिबजादों की महान शहादत को स्मरण करते हुए वर्ष 2018 से निरंतर पहले छात्र श्रृंखला तथा उसके पश्चात कीर्तन दरबार का आयोजन मोतीझील स्थित मुख्य पंडाल में किया जाता रहा है।

हम नहीं जाएंगे, बुरा नहीं कोई शब्द के माध्यम से संगत को निहाल किया। तत्पश्चात गुरुद्वारा लाजपत नगर के मुख्य सेवादार भाई सज्जन सिंह ने चार साहिबजादों की शहादत पर आधारित अत्यंत मार्मिक शब्द मेरे लाला दे नाल रात गुजारिए का गायन किया। इसके पश्चात सिख पंथ के महान कीर्तनी भाई बलबीर सिंह (चंडीगढ़) ने गावो गोविंद के गुण गावो मानस जनम अमोलक हे गायन किया।

कार्यक्रम के अंत में विश्व प्रसिद्ध रागी भाई गुरप्रीत सिंह (शिमला) ने साहिबजादों की शहादत को इस प्रकार प्रस्तुत किया कि हजारों संगत की आँखें नम हो गई और समूचा पंडाल श्रद्धा में डूब गया। इस अवसर पर श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय ऑनलाइन प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा की गई। साथ ही श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत एवं श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में अंकित 57 श्लोकों पर आधारित एक विशेष प्रदर्शनी भी लगाई गई। क्यू आर कोड के माध्यम से संगत ने इन 57 श्लोकों के अर्थों को जाना, जिसे देखकर सभी अत्यंत प्रभावित हुए। कार्यक्रम में 50,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने गुरु का अटूट लंगर ग्रहण किया। लंगर सेवा में विशेष रूप से युवा साथियों ने बढ़-चढ़कर योगदान दिया।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप

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