यूपी में आयुष के जरिए हेल्थ टूरिज्म सेक्टर में असीम संभावनाएं : योगी आदित्यनाथ

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- आयुष विभाग की ₹238 करोड़ की 271 विकास परियोजनाओं का सीएम योगी ने किया लोकार्पण

- पूरी दुनिया में बढ़ी है पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को लेकर उत्सुकता : मुख्यमंत्री 

- आयुष चिकित्सा पद्धति किसानों की आमदनी बढ़ाने में होगी सहायक : सीएम योगी

- आयुर्वेद के ज्ञान को उजागर करने वाले महर्षि धनवंतरी और आचार्य सुश्रुत की धरती है यूपी : सीएम

लखनऊ, 6 मार्च। प्रदेश में आयुष पद्धति के जरिए हेल्थ टूरिज्म के सेक्टर में सबसे अधिक संभावनाएं हैं। आयुष से जुड़ी सभी पद्धतियों को प्रोफेशनल तरीके से लागू कर दें तो पूरी दुनिया हमारे पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का अनुसरण करेगी। इससे न केवल संपूर्ण आरोग्यता के लक्ष्य को प्राप्त करने में, बल्कि बड़े स्तर पर नौकरी ओर रोजगार के अवसरों के सृजन में भी मदद मिलेगी। इतना ही नहीं आयुष चिकित्सा पद्धति के जरिए अन्नदाताओं की आमदनी को भी कई गुना तक बढ़ाया जा सकेगा। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को लोकभवन सभागार में आयोजित आयुष विभाग के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। 

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₹238 करोड़ की 271 परियोजनाओं का हुआ लोकार्पण 
इस अवसर पर उन्होंने ₹238 करोड़ से बस्ती, बलिया, जालौन और रायबरेली में 50 शैय्या वाले एकीकृत आयुष चिकित्सालय, 226 आयुष्मान आरोग्य मंदिर, प्रयागराज और झांसी में छात्राओं के लिए छात्रावासों का निर्माण, पांच ई-लाइब्रेरी, प्रदेश के अलग-अलग 19 होम्योपैथिक एवं 14 आयुर्वेदिक विभागों में हुए निर्माण कार्य सहित 271 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण भी किया। 

जनविश्वास का प्रतीक बन रहा है आयुष 
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से यूपी में आयुष मिशन तेजी के साथ जनविश्वास का प्रतीक बनता जा रहा है। आज लोकार्पित हुई परियोजनाएं इसका लघु उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। जिस आयुष मिशन के बारे में भारतीय मनीषा की धारणा रही हो कि 'नास्ति मूलं अनौषधं' यानी कोई जड़ी नहीं जो औषधीय गुणों से युक्त ना हो, मगर अज्ञानता और उपेक्षा के कारण हमारी ये पारंपरिक विधा कालांतर में लुप्तप्राय हो गयी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने जब आयुष मंत्रालय का गठन किया और पारम्परिक चिकित्सा को प्राथमिकता देकर प्रोत्साहित किया, तो देखते ही देखते देश ही नहीं पूरी दुनिया ने इसके महत्व को समझना शुरू कर दिया। हमने पिछले चार साल में इस सदी की सबसे बड़ी महामारी का सामना किया। इस दौरान दुनिया ने पारंपरिक मेडिकल के महत्व को समझा। पीएम मोदी के अभियान के फलस्वरूप प्रतिवर्ष 21 जून को पूरी दुनिया योग करती दिख रही है। कोरोना काल में पूरा विश्व आयुष का काढ़ा पीते दिखा। दुनिया आज पारम्परिक चिकित्सा पद्धति को अपना रही है। 

जल्द होगा निदेशालय का गठन 
मुख्यमंत्री ने बताया कि आयुष विभाग की ओर से नई पहल की जा रही है। विभाग जल्द एक निदेशालय के गठन की कार्रवाई को मूर्तरूप देने जा रहा है। इसके तहत आयुष की सभी विधाओं के लिए अबतक अलग अलग निदेशक होते थे, अब इन सब के बीच परस्पर समन्वय बनाने के लिए महा निदेशक भी होंगे। उन्होंने बताया कि यूपी आयुर्वेद की धरती रही है। भगवान धनवंतरी और सुश्रुत जिन्होंने शल्य चकित्सा के ज्ञान को इसी प्रदेश की धरती से आगे बढ़ाया, ऐसे में अब हमारा दायित्व है कि हम भी आयुष चिकित्सा पद्धति को और आगे लेकर जाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अन्नदाता किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाने में आयुष पद्धति पर आधारित कृषि बहुत उपयोगी हो सकती है। हमें इसके लिए अपने रिसर्च को बढ़ाना होगा साथ ही साथ किसानों को प्रोत्साहित करना होगा। 

इस अवसर पर आयुष विभाग के राज्यमंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र 'दयालु', प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, आयुष विभाग की प्रमुख सचिव लीना जोहरी, विधायक नीरज वोहरा, योगेश शुक्ल, जय देवी कौशल, एमएलसी मोहसिन रजा, लाल जी निर्मल, रामचंद्र प्रधान, आयुष विभाग के डायरेक्टर महेन्द्र वर्मा, शिक्षकगण, डॉक्टर आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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