जायद खेती पर जोर से बढ़ा प्रदेश में मक्का उत्पादन : कृषि मंत्री
कानपुर, 17 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में रबी फसल के बाद बड़ा क्षेत्रफल खाली रह जाता था। इसे देखते हुए सरकार के स्तर पर जायद फसलों की खेती बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया, परिणामस्वरूप आज उत्तर प्रदेश में जायद में मक्का का क्षेत्रफल बढ़ा है। सरकार का निरंतर प्रयास है कि कृषकों को समय से बीज एवं उर्वरक उपलब्ध हो सके।
हरकोर्ट बटलर तकनीकी विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) के शताब्दी भवन सभागार में “त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम” के तह आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने यह बातें कहीं।
कृषि मंत्री ने निर्देश दिए कि अधिक उत्पादकता वाली एवं क्षेत्र विशेष के अनुकूल प्रजातियों का बीज उपलब्ध कराया जाए। कृषकों को कृषि तकनीक की जानकारी सरल भाषा में दी जाए। उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष 10 दिसंबर तक अनुदान पर बीज का वितरण किया गया, क्योंकि समय से बुवाई न होने पर उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कृषकों को आलू फसल के तुरंत बाद मक्का की बुवाई करने हेतु प्रेरित किया, जिससे अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके।
प्रमुख सचिव कृषि रविन्द्र ने अपने संबोधन में कहा कि जनपद कानपुर नगर में मक्का फसल के अधिक आच्छादन को देखते हुए इस गोष्ठी का आयोजन किया गया है। ताकि आगामी जायद सत्र में अधिक से अधिक कृषक मक्का की खेती के लिए प्रेरित हों। उन्होंने बताया कि मक्का का उपयोग मुख्य रूप से पशुचारा एवं एथेनॉल निर्माण में हो रहा है। इस कारण इसकी मांग निरंतर बढ़ रही है। उन्होंने अवगत कराया कि प्रत्येक जनपद में मक्का ड्रायर स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिसके संचालन के लिए संबंधित जनपद द्वारा एफपीओ का चयन कर प्रस्ताव भेजा जाना आवश्यक है।
साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था विकसित की जानी चाहिए, जिससे डिस्टिलरी द्वारा किसानों से मक्का उसी प्रकार क्रय किया जाए, जैसे चीनी मिलों द्वारा गन्ने की खरीद की जाती है। ताकि किसान निश्चिंत होकर मक्का का उत्पादन कर सकें। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग अपने केंद्रों पर 80 से 110 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता वाली प्रजातियों का बीज उपलब्ध कराएगा तथा किसानों को समय से बुवाई करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
कृषि निदेशक उत्तर प्रदेश ने बताया कि प्रदेश गेहूँ एवं चावल उत्पादन में प्रथम स्थान पर, बाजरा, मसूर एवं राई/सरसों में द्वितीय स्थान पर तथा दलहनी फसलों में चतुर्थ स्थान पर है। मक्का की उत्पादकता के दृष्टिगत प्रदेश 16वें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि फसल सघनता बढ़ाने की दिशा में किए गए प्रयासों का ही परिणाम है कि मक्का के क्षेत्रफल में वृद्धि हुई है। मानव भोजन के अतिरिक्त पशु आहार, एथेनॉल तथा पोल्ट्री क्षेत्र में बढ़ती मांग को देखते हुए प्रदेश में मक्का के उत्पादन एवं उत्पादकता की अपार संभावनाएं हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप

