योगी सरकार में अभूतपूर्व विकास हुए, अब अन्नदाता करदाता बनकर देश के विकास में करें योगदान : मनीष खेमका
लखनऊ, 05 फरवरी (हि.स.)। योगी सरकार के कार्यकाल में किसानों का अभूतपूर्व विकास हुआ है। उत्तर प्रदेश सरकार का आज का बजट इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। योगी सरकार ने वर्ष 2017 से जनवरी 2024 तक लगभग 46 लाख गन्ना किसानों को 2 लाख 33 हजार 793 करोड़ रुपए से अधिक का रिकार्ड गन्ना मूल्य भुगतान किया है। यह भुगतान इसके पूर्व के 22 वर्षों के कुल गन्ना मूल्य भुगतान 2 लाख 1 हजार 519 करोड़ रुपए से भी 20,274 करोड़ रुपए अधिक है। योगी सरकार का पहला बजट भी अन्नदाता किसानों को समर्पित था।
यह बातें सोमवार को यूपी विधानसभा 2024-25 सत्र के लिए पेश योगी सरकार के बजट को लेकर ग्लोबल टैक्सपेयर्स ट्रस्ट के चेयरमैन मनीष खेमका ने कही। उन्होंने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कृषि प्रधान प्रदेश होने के नाते किसान स्वाभाविक रूप से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। अब तक 37 लाख किसानों को क्रेडिट कार्ड दिया जा चुका है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत 2 करोड़ 62 लाख किसानों के खाते में 63,000 करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं। योगी सरकार के ऐसे अनेक प्रयासों के कारण उत्तर प्रदेश में किसानों की स्थिति निश्चित ही बेहतर से बेहतरीन हुई है। अब समय है जब संपन्न हो चुके बड़े किसानों को अपने जरूरतमंद छोटे किसान भाइयों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। वे अन्नदाता पर्याप्त आय के बाद अब करदाता बनकर यह कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि राजनीतिक कारणों से भारत में कृषि आय करमुक्त है। फलस्वरूप खेती से कोई कितना भी अधिक कमाए उसे एक रुपया भी आयकर नहीं देना पड़ता है। इस गैरवाजिब छूट की आड़ में अनेक प्रकार के भ्रष्टाचार भी हो रहे हैं। एक बड़े नेता ने भी पहले गमले में गोभी उगाकर मोटी करमुक्त कमाई की थी। नीति आयोग की केंद्र सरकार से की गई एक सिफ़ारिश के मुताबिक देश के सिर्फ़ चार प्रतिशत बड़े किसानों से 25हजार करोड़ रुपये का आयकर देश को मिल सकता है। मजे की बात है कि भारत में सिर्फ़ पांच प्रतिशत बड़े किसानों के पास ही ट्रैक्टर हैं। सिर्फ़ इन्हें ही आयकर के दायरे में लाकर छोटे गरीब किसानों की बड़ी मदद की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि शहरों में सालाना ढाई लाख से ज़्यादा कमाने वाला मिडिल क्लास का मेहनतकश व्यक्ति अपनी कमाई पर न केवल इनकम टैक्स चुकाता है बल्कि गैस और रेलवे की सब्सिडी भी छोड़ देता है। करदाता होने के कारण उसे सरकार से अन्य कोई लाभ भी नहीं मिलता है। वहीं इस तथ्य के विपरीत उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2021 में 64 हजार लखपति किसानों को चिन्हित किया था जिन्होंने फसल बेच कर 10 लाख रुपये तक कमाए थे। साथ ही वे मुफ़्त राशन समेत अनेक सरकारी लाभ भी ले रहे थे।
हम सब के समान विकास की बात करते हैं लेकिन सबके समान योगदान की अनिवार्य आवश्यकता को भूल जाते हैं। समावेशी योगदान के बिना समावेशी विकास की बात बेमानी है। यह संभव नहीं। 98 प्रतिशत जनता का भार दो प्रतिशत से भी कम करदाताओं पर डालना कहां तक न्याय संगत है? यदि हमें प्रदेश और देश का वास्तव में सर्वांगीण विकास चाहिए तो सभी के समान योगदान के प्रति भी जागरूक होना पड़ेगा।
हिन्दुस्थान समाचार/मोहित/सियाराम
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