विश्वविद्यालय ने संशोधित किया प्री-पीएचडी पाठ्यक्रम
गोरखपुर, 06 मार्च (हि.स.)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्याल अब नए पीएचडी अध्यादेश 2024 के तहत संशोधित प्री-पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित करेगा। विश्वविद्यालय ने यह कदम उत्कृष्टत शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया है।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय द्वारा कई छात्र-केंद्रित प्रावधान लाया गया है। जिससे शोधकर्ताओं में शोध एवं अनुसंधान-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा।
नया पीएचडी अध्यादेश 2024, शोधार्थियों में अनुसंधान संस्थाओं की मौलिक समझ विकसित करने के लिए प्री-पीएचडी पाठ्यक्रम को पूरा करने पर जोर देने वाला है। पुराने पीएचडी अध्यादेश 2021 के तहत अनिवार्य प्री-पीएचडी 21 क्रेडिट का पाठ्यक्रम की आवश्यकता थी। जिसमें अनिवार्य पाठ्यक्रम, विषय-विशिष्ट पाठ्यक्रम और शोध-विशिष्ट पाठ्यक्रम शामिल थे। हालांकि, इस पाठयक्रम संरचना को व्यापक माना गया था, लेकिन यह प्रभावी शोध परिणामों के लिए अनुकूल नहीं रह गया था। इन चुनौतियों को ध्यान में रख कर कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने प्री-पीएचडी प्रोग्राम को अधिक शोध-केंद्रित और विषयों के लिए विशिष्ट बनाने के लिए इसमें संशोधन की वकालत की थी। संशोधित प्री-पीएचडी प्रोग्राम 12 क्रेडिट का है और इसमें अब तीन पाठ्यक्रमों के साथ शामिल हैं।
ये हैं तीन पाठ्यक्रम
- अनुसंधान और प्रकाशन नैतिकता (1 1 क्रेडिट) - प्रकाशन नैतिकता और अनुसंधान कदाचार में अंतर्दृष्टि प्रदान करना।
- अनुसंधान पद्धति (5 0 क्रेडिट) - नवाचारों और बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) को कवर करने वाली विषय-विशिष्ट पद्धतियां।
- विषय/अनुशासन विशिष्ट पाठ्यक्रम (5 0 क्रेडिट) - विकल्प के प्रावधान के साथ शोध क्षेत्र की विशेषज्ञता को दर्शाता है।
यह है उद्देश्य
संशोधित पाठ्यक्रमों का उद्देश्य नवीन अनुसंधान विधियों, तकनीकों और दृष्टिकोणों को प्रोत्साहित करना है। ये संबंधित क्षेत्रों में ज्ञान और समझ को आगे बढ़ा सकते हैं।
कम किया गया है क्रेडिट
नए प्रोग्राम में क्रेडिट कम किया गया है, जिसका तात्पर्य है कि 15 सप्ताह के प्रोग्राम में टीचिंग ऑवर 315 घंटे से कम हो कर 180 घंटे रहेंगे। इससे शोध छात्रों को वास्तविक शोध कार्य के लिए अधिक समय मिल सकेगा।
कुलपति ने कहा
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि सभी विभागों को नई पीएचडी अध्यादेश 2024 के अनुरूप प्री-पीएचडी पाठ्यक्रम को संशोधित करने का निर्देश दिया गया है। शोध प्रवेश परीक्षा (आरईटी) और पीएचडी प्रोग्राम में प्रवेश से पहले संशोधित पीएचडी अध्यादेश के अनुरूप विश्वविद्यालय ने प्री-पीएचडी प्रोग्राम को भी तैयार कर लिया है। यह विश्वविद्यालय की शैक्षणिक एवं शोध उत्कृष्टता के प्रति अपने सक्रिय दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है। इस पहल से विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं में अनुसंधान एवं शोध मानकों और क्षमताओं को बढ़ाने और उत्कृष्ट शोध संस्कृति को बढ़ावा देने की उम्मीद की है।
हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. आमोदकांत/राजेश
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