केंद्रीय बजट में जुमलों के अलावा कुछ नहीं : अजय राय

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केंद्रीय बजट में जुमलों के अलावा कुछ नहीं : अजय राय


लखनऊ, 23 जुलाई (हि.स.)। हर बार की तरह इस बार का भी बजट सिर्फ जुमलों और हवाई दावों के अलावा कुछ भी नहीं। देश की सभी बड़ी समस्याओं फिर चाहे युवाओं के रोजगार की बात हो, किसानों की बात हो, या फिर महंगाई की बात हो किसी भी समस्या के निवारण का स्पष्ट रोड़ मैप नहीं है। ये बातें बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय जी ने कहीं।

उन्होंने कहा कि 2023 और 2024 का बजट भाषण ध्यान से देखते हुए कई झूठ यूहीं पकड़ में आ जाते हैं। जैसे पिछले बजट में भी यह वादा किया गया था कि प्राकृतिक खेती की जद में एक करोड़ किसान लाये जायेंगे। अगले तीन वर्षों में और इस बार उसी वादे को फिर से दोहराया गया है, यह कहते हुए कि एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती की जद में लाया जायेगा, तो इसका मतलब यह स्पष्ट है कि पिछले एक वर्ष में इस योजना पर कोई काम नहीं हुआ। इसी तरीके से पिछले बजट में 10 हजार बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर खोलने की बात कही गई थी जो इस बार के बजट में भी दोहराई गई है। स्पष्ट है कि एक साल में कोई भी रिसोर्स सेंटर नहीं खोला गया है। पिछले 10 सालों में पीएम मोदी की बहुचर्चित स्मार्ट सिटी परियोजना की चर्चा बंद हो चुकी है क्योंकि इनकी लगभग सभी स्मार्ट सिटी की हालत यह है कि पहली ही बारिश के बाद वहां नाव चलने की नौबत आ जा रही है। इसीलिए इस बजट में स्मार्ट सिटी की बात न करके शहरों को विकास केन्द्र के रूप में विकसित करने के नए वादे की बात की जा रही है।

श्री राय ने कहा कि जनता की राय से बनाये गये कांग्रेस पार्टी का न्याय पत्र से कुछ न्याय वादों को लेने की कोशिश तो की गई परन्तु वह कोशिश अधूरी ही रही जैसे अगले पांच सालों में एक करोड़ युवाओं को अप्रेंटिसशिप 66 हजार रूपया प्रतिवर्ष की स्टाईपेंड के साथ देने की बात कही जा रही है। सच तो यह है कि हमने अपने न्याय पत्र में एक लाख रूपये वार्षिक स्टाईपेंड के साथ सभी डिग्री व डिप्लोमा धारकों को यह अप्रेंटिसशिप देने की बात कही थी।

भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ एमएसएमई के लिए सिवाय लोन देने के कोई भी स्पष्ट योजना नहीं दिख रही। पहले से ही ऋण जाल में डूबे एमएसएमई को सहारे की जरूरत है न कि ऋण की। अल्पकाल और दीर्घकाल दोनों कैपिटल गेन टैक्स को बढ़ाये जाने से न सिर्फ बाजारों को नुकसान होगा बल्कि मध्य वर्ग की बचत करने की प्रवृत्ति को भी ठेस पहुंचेगी। ग्रामीण बेरोजगारी पर सबसे कड़ा प्रहार करने वाली यूपीए की परियोजना मनरेगा की कोई चर्चा बजट भाषण में नहीं है।

हिन्दुस्थान समाचार / उपेन्द्र नाथ राय / मोहित वर्मा

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