हार्टफुलनेस ध्यान में प्राणाहुति का अपना विशेष महत्व : डॉ नवीन मिश्र
--भारतीय ज्ञान परम्परा में ध्यान का अपना विशेष महत्व : प्रो. एनके शुक्ल
--इविवि के संस्कृत विभाग में हार्टफुलनेस एमओयू के तहत यू कनेक्ट कार्यशाला का शुभारम्भ
प्रयागराज, 01 नवम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.संगीता श्रीवास्तव के निर्देशन में संस्कृत विभाग द्वारा हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट के साथ हुए एमओयू के तहत यू-कनेक्ट कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ। मुख्य अतिथि सुश्रुत हास्पिटल के प्रसिद्ध डॉ. नवीन कुमार मिश्र ने हार्टफ़ुलनेस ध्यान एवं प्राणाहुति के विज्ञान को समझाते हुए कहा कि हार्टफुलनेस ध्यान में प्राणाहुति का अपना विशेष महत्व है। जिसे अभ्यास द्वारा अनुभव किया जा सकता है।
डॉ मिश्र ने आगे कहा कि प्राणाहुति का सिद्धान्त केनोपनिषद् में “प्राणस्य प्राणः” के रूप मे वैदिक ऋषियों द्वारा बताया गया है। प्राणाहुति एक दिव्य ऊर्जा है जिसका सम्प्रेषण ध्यान की प्रक्रिया में योग्य प्रशिक्षक द्वारा अभ्यासियों को प्रदान किया जाता है। जिससे व्यक्ति के जटिल संस्कारों का विगलन हो जाता है तथा व्यक्ति ऊर्जावान एवं आनन्द का अनुभव करता है। एमओयू के समन्वयक एवं संस्कृत विभाग के आचार्य प्रो. अनिल प्रताप गिरि के संयोजन में उद्घाटन एवं प्राणाहुति पर आधारित ध्यान का अभ्यास किया गया।
कार्यशाला का उद्घाटन इविवि के कुलसचिव प्रो.एन.के शुक्ल ने किया। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में ध्यान का अपना विशेष महत्व है। पातंजल योग दर्शन में ध्यान के स्वरूप को वर्णित किया गया है। ध्यान के विज्ञान को अपनाएं बिना व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास नहीं हो सकता। हार्टफुलनेस एमओयू के अंतर्गत ध्यान के वैज्ञानिक पद्धति से इविवि के समस्त छात्रों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों को परिचित कराया जाएगा जिससे वे अपने जीवन में ध्यान को अपनाकर रोग रहित तथा खुशहाल जीवन जी सकें।
कला संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. संजय सक्सेना ने भारतीय ज्ञान परम्परा में योग के महत्व को प्रतिपादित किया। हार्टफुलनेस यू कनेक्ट की संयोजिका ज्योति मिश्रा ने पावर पॉइंट प्रस्तुति द्वारा हार्टफुलनेस ध्यान के वैज्ञानिक पद्धति को बताया। हार्टफुलनेस ध्यान की प्रशिक्षिका सिविल लाइन स्थित एक होटेल की संरक्षिका स्मिता अग्रवाल ने भी हार्टफुलनेस ध्यान के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए ध्यान द्वारा मनुष्य के अभ्युदय एवं निःश्रेयस की प्राप्ति कैसे सम्भव है, इस पर चर्चा की।
इविवि की पीआरओ डॉ जया कपूर ने बताया कि संस्कृत विभाग की स्थापना इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना से दस वर्ष पूर्व 1873 में हुआ। 1873 से आज तक संस्कृत विभाग में अध्ययन-अध्यापन की परम्परा अनवरत चली आ रही है। संस्कृत विभाग में वर्तमान में 22 शिक्षक एवं 1300 से अधिक विद्यार्थी सारस्वत साधना में अध्ययन रत हैं। इस प्रकार इलाहाबाद विश्वविद्याल का यह गौरवशाली संस्कृत विभाग न केवल भारत देश के अपितु विश्व के बृहत्तम संस्कृत विभागों में से एक है।
उद्घाटन के पश्चात् हार्टफुलनेस ध्यान का व्यावहारिक सत्र का शुभारम्भ हुआ। जिसमें 200 से ज्यादा प्रतिभागियों ने प्राणाहुति के विज्ञान एवं ध्यान का अभ्यास किया। संचालन संस्कृत विभाग की सहायक आचार्य डॉ.रेनु शर्मा एवं समापन विभाग समन्वयक प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/पदुम नारायण
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