संगोष्ठी का विजन देगा राष्ट्र को और मजबूती : डॉ महेन्द्र पाण्डेय

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संगोष्ठी का विजन देगा राष्ट्र को और मजबूती : डॉ महेन्द्र पाण्डेय


-प्रधानमंत्री के अमृत महोत्सव के अनुरूप है संगोष्ठी

-गाजीपुर के गांव-गांव में लोग रहे हैं आजादी के दीवाने

प्रयागराज, 03 नवम्बर (हि.स.)। यह संगोष्ठी प्रधानमंत्री के अमृत महोत्सव के अनुरूप है। गाजीपुर के गांव-गांव में लोग आजादी के दीवाने रहे हैं। लेकिन कुछ लोग इस देश के विमर्शों को गलत दिशा में मोड़ रहे हैं। इस संगोष्ठी से जो विजन निकलेगा, वह राष्ट्र को और मजबूती प्रदान करेगा। यह बातें मुख्य अतिथि भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने संगोष्ठी में कही।

ईश्वर शरण स्नातकोत्तर महाविद्यालय प्रयागराज एवं स्वामी सहजानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाजीपुर के संयुक्त तत्वावधान में स्वामी सहजानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा 1942 की जनक्रांति और गाजीपुर में प्रतिरोध का लोकस्वरूप विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। केन्द्रीय मंत्री ने गाजीपुर के भूले बिसरे नायकों को याद किया और जिन सेनानियों से उनको मिलने का अवसर प्राप्त हुआ था, उनके अनुभव को भी समक्ष रखा। उन्होंने जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति का भी उल्लेख किया।

ईश्वर शरण महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.आनंद शंकर सिंह ने कहा कि इस संगोष्ठी के आयोजन का उद्देश्य प्रधानमंत्री के अमृत महोत्सव के स्वप्न को साकार करने के क्रम में एक महत्वपूर्ण कदम होने के साथ-साथ गाजीपुर के गुमनाम नायकों को राष्ट्रीय फलक पर एक पहचान देना है। उन्होंने कहा देश की आजादी में केवल कुछ ही परिवारों का योगदान नहीं था बल्कि इसका लोक स्वरूप बहुत विस्तृत है। उन्होंने इस बिंदु पर प्रकाश डाला कि प्रयागराज से आकर इस संगोष्ठी का आयोजन गाजीपुर के स्वतंत्रता सेनानियों को उनकी ही कर्मभूमि पर आकर याद करने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर किया गया है।

संगोष्ठी के संयोजक डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह ने आयोजन की भूमिका और उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गाजीपुर के स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का यह क्षण उनके लिए अविस्मरणीय है। प्रो. हेरम्ब चतुर्वेदी ने बीज वक्तव्य में कहा कि इतिहास मानव विकास का अध्ययन है और वंशावलियों के इतिहास की अपेक्षा जनमानस का इतिहास अधिक महत्वपूर्ण है। विशिष्ट अतिथि प्रो. राम मोहन पाठक ने कहा कि लोकभाषा के बिना जनजागरण सम्भव नहीं है। गाजीपुर वैचारिक क्रांति के अग्रदूतों से हमेशा प्रेरित रही है।

इस दौरान भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों और संबंधियों को सम्मानित भी किया गया। जिनमें स्व.नारायण राय, स्व.पंडित विश्वनाथ शर्मा, स्व.कृष्ण राय, स्व.लक्ष्मी नारायण शर्मा, स्व.जुनैद आलम, स्व.शिव पूजन राय, स्व.डॉ राजनाथ सिंह, स्व.गोपी सिंह, स्व.सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह एवं अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया। अध्यक्षता कर रहे कविंद्र नाथ शर्मा ने काशी नरेश चेत सिंह और पंडित कमलापति त्रिपाठी के योगदान और गाजीपुर के प्रति उनके स्नेह की चर्चा की।

धन्यवाद ज्ञापन स्वामी सहजानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. वी.के राय ने एवं संचालन प्रशांत श्रीवास्तव ने किया। संगोष्ठी में डॉ. मान सिंह, डॉ. धीरज कुमार चौधरी, डॉ. धीरज द्विवेदी, डॉ. अमरजीत राम, डॉ. विजय तिवारी, डॉ. अविनाश पांडे, डॉ. मनोज दुबे आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम

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