तुलसीदास को तत्कालीन समय में समझना होगा : प्रो. वशिष्ठ अनूप
—गोस्वामी तुलसीदास जयंती के पूर्व संध्या पर बीएचयू में संगोष्ठी
वाराणसी, 10 अगस्त (हि.स.)। गोस्वामी तुलसीदास का व्यक्तिगत जीवन का संघर्ष हमारे लिए प्रेरक है। उनके साहित्य को तत्कालीन समय और समाज में जाकर समझना होगा। ये उद्गार प्रो. वशिष्ठ अनूप के है। प्रो. वशिष्ठ गोस्वामी तुलसीदास की जयंती की पूर्व संध्या पर शनिवार को हिन्दी विभाग, कला संकाय,बीएचयू में आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।
हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ ने गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि तुलसीदास अपने समय को उसकी अच्छाइयों और बुराइयों के साथ समग्रता में प्रस्तुत करते हैं। रामचरित मानस और कवितावली की कविताएं आज भी हमारा मार्गदर्शन करती हैं। हमारे समय में तुलसीदास का काव्य और भी ज़्यादा प्रासंगिक हो गया है।
गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि प्रो. श्रीनिवास पांडेय ने तुलसीदास के काव्य में तीन विषयों समय प्रबंधन, पर्यावरण और आतंकवाद पर विचार रखा। गोष्ठी में विद्यार्थियों ने भी कई सवाल किए। संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ लहरी राम मीणा ने किया। गोष्ठी में प्रोफेसर राजकुमार, प्रो. कृष्ण मोहन ने भी विचार रखा। गोष्ठी में हिन्दी विभाग के प्राध्यापकों में प्रो. नीरज खरे, डॉ विंध्याचल यादव, डॉ प्रीति त्रिपाठी, डॉ सत्यप्रकाश सिंह आदि ने भी भागीदारी की।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी / आकाश कुमार राय
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