ट्रिपल आईटी में व्यावहारिक वित्त पर समर स्कूल शुरू
प्रयागराज, 10 जून (हि.स.)। व्यावहारिक वित्त, वित्त के क्षेत्र में मानव व्यवहार और मनोविज्ञान की आकर्षक दुनिया में कार्य करता है। यह मूल रूप से इस बात का अध्ययन है कि हम पैसे के ऐसे विकल्प क्यों चुनते हैं जो कभी-कभी पूरी तरह से आकर्षण भरे लगते हैं।
उक्त विचार ट्रिपल आईटी के प्रभारी निदेशक प्रो. शेखर वर्मा ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आईटी) के प्रबंधन अध्ययन विभाग द्वारा व्यावहारिक वित्त पर आयोजित आठवां ग्रीष्मकालीन समर स्कूल का शुभारम्भ करते हुए व्यक्त किया।
सोमवार को झलवा परिसर में शुरू हुए व्यावहारिक वित्त के जटिल क्षेत्र में प्रतिभागियों को गहन शिक्षण प्रदान किया गया। उन्होंने पांच दिवसीय स्कूल का उद्घाटन करते हुए प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि व्यावहारिक वित्त, पारम्परिक वित्त के अच्छे भाई की तरह है। जो स्वीकार करता है कि जब पैसे के मामलों की बात आती है तो हम इंसान हमेशा तर्कसंगत प्राणी नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि अपने पूर्वाग्रहों, भावनाओं और प्रवृत्तियों को समझकर हम बेहतर निर्णय ले सकते हैं और निवेश और वित्त प्रबंधन में आम नुकसान से बच सकते हैं।
कार्यक्रम समन्वयक प्रोफेसर रंजीत सिंह ने कहा कि वित्तीय निर्णय लेने को प्रभावित करने वाले मनोवैज्ञानिक पहलुओं का पता लगाने के लिए तैयार किए गए एक मजबूत पाठ्यक्रम के साथ इस कार्यक्रम को शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शामिल लोगों को वित्तीय दुनिया की जटिलताओं को अच्छे से समझने के लिए आवश्यक मूल्यवान अंतर्दृष्टि और व्यावहारिक ज्ञान से परिचित करना है। उन्होंने बताया कि देश भर से प्रतिभागी समर स्कूल में भाग ले रहे हैं।
संस्थान के पीआरओ डॉ. पंकज मिश्र ने बताया कि इस अवसर पर प्रबंधन अध्ययन विभाग की प्रमुख डॉ. प्रज्ञा सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे पूर्वाग्रह निवेश निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं और खराब परिणामों को जन्म दे सकते हैं। वित्त की दुनिया अक्सर अप्रत्याशित और अराजक होती है। प्रो. पवन चक्रबर्ती ने उदाहरणों के साथ व्यावहारिक वित्त को रेखांकित किया।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम
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