लोकमत का प्रशिक्षण व परिष्कार आवश्यक
लखनऊ, 29 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य प्रेम कुमार ने कहा कि लोकमत का प्रशिक्षण व परिष्कार आवश्यक है। जैसी प्रजा होगी वैसा ही राजा होगा। जाति, मत व मजहब से ऊपर उठकर मतदान करें। मतदाता जागरूक हुआ है लेकिन मतदान प्रतिशत बढ़ाने की आवश्यकता है।
प्रेम कुमार ने शुक्रवार को संस्कृति भवन स्थित राष्ट्रधर्म पत्रिका के कार्यालय में लोकतंत्र व नागरिक कर्तव्य विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कहा कि आज देश में साधन संपन्नता बढ़ी है, फिर भी प्रांत, भाषा, जाति, गांव व परिवार को देखकर लोग वोट करते हैं।
संघ के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख मनोज कांत ने कहा कि लोकमत ही लोकतंत्र को संरक्षित करता है। सामाजिक संगठनों की लोकमत निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लोकमत का परिष्कार दीर्घकालिक प्रक्रिया है। समाज बदलने की प्रक्रिया ही मूल प्रक्रिया है। प्रकृति, संस्कृति व परम्परा के प्रकाश में जो शिक्षा मिलती है वह नागरिकों को कर्तव्य का बोध कराती है।
राष्ट्रधर्म पत्रिका के निदेशक सर्वेश चन्द्र द्विवेदी ने कहा कि नागरिकों से लोक व्यवस्था चलती है। लोकमत को जाग्रत करने के लिए कर्तव्य के प्रति नागरिकों को जागरूक करना होगा। संविधान को हमें जानना चाहिए, मानना चाहिए और उसके हिसाब से काम करना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सर्वेश कुमार सिंह ने की। सिंह ने कहा कि जैसा लोक होगा वैसा ही लोकमत होगा। श्रीराम ने लोकमत का सम्मान किया था। भारत की जनता मन, वचन व कर्म से लोकतांत्रिक है। संगोष्ठी का संचालन लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सौरभ मालवीय ने किया। गोष्ठी को स्वामी मुरारी दास, कुंवर आजम खान, राजीव कुमार, मनोज चंदेल और श्रवण कुमार ने भी संबोधित किया।
हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/पवन
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