जल जोड़ने के परम्परागत तरीके आज भी हैं खरेः पद्मश्री जलयोद्धा

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जल जोड़ने के परम्परागत तरीके आज भी हैं खरेः पद्मश्री जलयोद्धा


जल जोड़ने के परम्परागत तरीके आज भी हैं खरेः पद्मश्री जलयोद्धा


हमीरपुर, 11 अगस्त (हि.स.)। दुनिया में जल संकट है। पानी बनाया नहीं केवल बचाया जा सकता है। यह विचार पद्मश्री जलयोद्धा उमाशंकर पाण्डेय ने रविवार को मुस्करा में आयोजित जल गोष्ठी के दौरान ब्लाॅक परिसर के प्रांगण में व्यक्त किये।

उन्होंने कहा कि जल आन्दोलन जन आन्दोलन बने इसी उद्देश्य में जल कोष यात्रा पर निकला हूँ। वर्षा की बूंदे जहां गिरे वहीं रूके, खेत का पानी खेत में, खेत की मिट्टी खेत में, घर का पानी घर में, गाँव का पानी तालाब में सुरक्षित हो, ऐसा हमे सामुहिक प्रयास करना चाहिए। पुरखों के जल जोड़ने के परम्परागत तरीके आज भी खरे है, कुआं बनाना, तालाब बनाना, पेड़ लगाना यह ईश्वर की पूजा है।

बुन्देलखण्ड में सुख में, दुख में, उत्सव में, दंड में, राजा-महाराजा तालाब बनवाते थे। तालाब पानी का बैंक है, कुएं जल की तिजोरी है। हम उतना जल ही प्रयोग करे, जितनी हमे आवश्यकता हो। हर खेत पर मेड़ बनाये और मेड़ पर पेड़ लगाये। हमीरपुर जिला प्रशासन ने इस दिशा में अच्छा प्रयास किया। राज्य समाज सरकार सबको मिलकर भाग रहे पानी को रोकना होगा, यदि हमे सिद्दी एवं प्रसिद्धी चाहिए तो पानी को आदर देना होगा। इस अवसर पर ब्लॉक प्रमुख ने कहा कि किसानों की ऐसी फसले बोनी चाहिए जिसमें पानी कम लगे, परम्परागत हो।

इस अवसर पर जिला पंचायत अधिकारी जितेन्द्र मिश्रा ने कहा कि जल बचाना हमारी सामुहिक जिम्मेदारी है। हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए बड़ी संख्या में भरे हुए जलाशय प्रदान करें, ऐसी कोशिश करें। जिला उद्यान अधिकारी आशीष कटियार ने कहा कि पेड़ पानी का बेटा है। अधिक से अधिक संख्या में औषधिक फलदार वृक्षों का रोपण करें।

खण्ड विकास अधिकारी प्रेमेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि जलवायु परिवर्तन तथा प्रदूषण से बचने के लिए बसुन्धरा को हरा भरा करना होगा। इस अवसर पर अटल भूजल योजना अधिकारी योगेश कुमार ने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य वर्षा जल को रोकने के लिए सामुहिक जिम्मेदारी का ऐहसास कराना युवा पीढ़ी को जल जैसे महत्वपूर्ण विषय से जोड़ना।

हिन्दुस्थान समाचार / पंकज मिश्रा / दीपक वरुण / मोहित वर्मा

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