हाउस टैक्स को लेकर उत्पीड़न के विरोध में उतरे व्यापारी
मेरठ, 07 मार्च (हि.स.)। नगर निकायों द्वारा हाउस टैक्स को लेकर किए जा रहे जनता के उत्पीड़न के विरोध में व्यापारी उतर आए हैं। गुरुवार को उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल उत्तर प्रदेश के बैनर तले व्यापारियों ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर बकाया हाउस टैक्स की वसूली के लिए एकमुश्त समाधान योजना लाने की मांग की।
संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष लोकेश अग्रवाल के नेतृत्व में गुरुवार को व्यापारी कलक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने जिलाधिकारी कार्यालय में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में व्यापारियों ने कहा कि नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत में बकाया हाउस टैक्स पर ब्याज मूल धन से भी अधिक होने के कारण हाउस टैक्स का बकाया वसूली नहीं हो पा रहा है। इसलिए विद्युत विभाग की भांति एकमुश्त समाधान योजना बनाकर दण्ड ब्याज की माफी कर मूल धन आसान किस्तों में जमा कराए जाने की योजना लाई जाए। इससे भारी मात्रा में बकाया हाउस टैक्स की राशि स्थानीय निकायों को प्राप्त हो जाएगी, जिससे स्थानीय निकायों की स्थिति में सुधार होगा तथा आम जनता को भारी राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि हाउस टैक्स बकाया होने पर स्थानीय निकायों द्वारा सीलिंग की कार्रवाई की जा रही है, जिसमें मकान मालिक से वसूली न करके किराएदार व्यापारियों की दुकानों को सील किया जा रहा है। जिससे व्यापार के साथ-साथ सरकार का राजस्व भी प्रभावित होता है। किराएदार द्वारा मकान मालिक को किराया दिया जाता है। हाउस टैक्स जमा करने की जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है। हाउस टैक्स बाकी होने पर किराएदार के कब्जे वाली सम्पत्ति को सील ना करके मकान मालिक के विरुद्ध हाउस टैक्स वसूली की कार्रवाई की जाए। आवश्यक होने पर किराया स्थानीय निकाय के हित में अटैच कर लिया जाए।
अधिकांश दुकानों में पानी के कनेक्शन की आवश्यता नहीं होती है, परन्तु स्थानीय निकाय द्वारा गृहकर के बिलों सभी से जलकर वसूला जा रहा है। जिन दुकानों पर पानी का कनेक्शन नहीं है वहां से जलकर की वसूली समाप्त किए जाने के आदेश पारित किए जाए। स्थानीय निकाय द्वारा पॉलीथीन पाबंदी के नाम पर छोटे दुकानदारों पर जुर्माना लगाया जा रहा है। प्रतिबन्धित पॉलीथीन के उत्पादन पर रोक नहीं लगाई जा रही है। बाजारों में चालान व जुर्माने के स्थान पर प्रतिबन्धित पॉलीथीन के निर्माण पर रोक लगाई जाए। स्थानीय निकाय द्वारा नामान्तरण शुल्क बहुत अधिक बढ़ा दिया गया है, जिस वजह से अधिकांश व्यक्ति नामान्तरण नहीं करा रहे हैं। नए बने भवनों का नाम दर्ज नहीं होने से हाउस टैक्स का नुकसान स्थानीय निकाय को हो रहा है। नामान्तरण शुल्क न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम पांच हजार रुपये किया जाए। नामान्तरण में देरी होने पर कोई लेट फीस या दण्ड ब्याज न लगाया जाए।
इस अवसर पर जिलाध्यक्ष राजकुमार त्यागी, रामअवतार बंसल, धीरज, संजय गर्ग, कैलाश चंद, सचिन कुमार, सुनील कुमार, महिपाल आदि उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. कुलदीप/राजेश
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