प्रयागराज-मानिकपुर की तीसरी लाइन एवं निर्माण सहित तीन परियोजनाओं को मिली मंजूरी
प्रयागराज, 26 नवम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज लगभग 7,927 करोड़ रुपये की कुल लागत वाली रेल मंत्रालय की तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी है। रेलवे कैबिनेट ने कनेक्टिविटी बेहतर करने, यात्रा आसान बनाने, लॉजिस्टिक्स लागत एवं तेल आयात कम करने और कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जन कम करने के लक्ष्य से भारतीय रेलवे की तीन मल्टी ट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं से खंडों की मौजूदा लाइन क्षमता में वृद्धि और परिवहन नेटवर्क बढ़ाकर लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार होगा। जिसके परिणामस्वरूप सुव्यवस्थित आपूर्ति श्रृंखला और त्वरित आर्थिक विकास होगा।
मंगलवार को डीआरएम कार्यालय में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से उक्त जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तीनों परियोजनाओं की लागत 7,927 करोड़ रुपये (लगभग) है और इन्हें चार वर्षों में पूरा किया जाएगा। निर्माण अवधि के दौरान परियोजनाओं से लगभग एक लाख मानव दिनों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होगा। इन परियोजनांओं में जलगांव-मनमाड चौथी लाइन (160 किमी), भुसावल-खंडवा तीसरी और चौथी लाइन (131 किमी) एवं प्रयागराज (इरादतगंज)-मानिकपुर तीसरी लाइन (84 किमी) है।
प्रस्तावित मल्टी ट्रैकिंग परियोजनाओं से परिचालन आसान होगा और भीड़भाड़ कम होगी, जिससे मुम्बई और प्रयागराज के बीच सबसे व्यस्त खंडों पर बहुत जरूरी बुनियादी ढांचागत विकास होगा। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के विजन के अनुरूप हैं। जो क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से क्षेत्र के लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाएगा, जिससे उनके रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
तीन राज्यों यानी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सात जिलों को कवर करने वाली तीन परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 639 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी। प्रस्तावित मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाएं दो आकांक्षी जिलों (खंडवा और चित्रकूट) तक कनेक्टिविटी बढ़ाएंगी, जो लगभग 1,319 गांवों और लगभग 38 लाख आबादी को सेवा प्रदान करेंगी।
प्रस्तावित परियोजनाओं से मुम्बई-प्रयागराज-वाराणसी मार्ग पर अतिरिक्त यात्री ट्रेनों के संचालन को सक्षम करके कनेक्टिविटी बढ़ेगी। जिससे नासिक (त्र्यंबकेश्वर), खंडवा (ओंकारेश्वर) और वाराणसी (काशी विश्वनाथ) में ज्योतिर्लिंगों के साथ-साथ प्रयागराज, चित्रकूट, गया और शिरडी में धार्मिक स्थलों की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को लाभ होगा। इसके अतिरिक्त, परियोजनाएँ खजुराहो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, अजंता और एलोरा गुफाएँ यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, देवगिरी किला, असीरगढ़ किला, रीवा किला, यावल वन्यजीव अभयारण्य, केवटी जलप्रपात और पुरवा जलप्रपात आदि जैसे विभिन्न आकर्षणों तक बेहतर पहुंच के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देंगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र
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