सजा नहीं न्याय केंद्रित है तीन नए आपराधिक कानून : पुलिस महनिदेशक

सजा नहीं न्याय केंद्रित है तीन नए आपराधिक कानून : पुलिस महनिदेशक
WhatsApp Channel Join Now
सजा नहीं न्याय केंद्रित है तीन नए आपराधिक कानून : पुलिस महनिदेशक


लखनऊ, 18 जून (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के पुलिस के महानिदेशक प्रशांत कुमार ने मंगलवार को नए आपराधिक कानूनों को लेकर जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि एक जुलाई से पूरे देश में नये आपराधिक कानून लागू हो जाएगा। इन नये कानून के लागू होने के बाद इंडियन पीनल कोड यानि आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड यानि सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू होंगे। इन नये आपराधिक कानूनों के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि लोगों को त्वरित न्याय मिले। इसके लिए नई तकनीकों को पूरी प्रक्रिया में शामिल किया गया है।

उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता 2023 कानूनी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और पीड़ित की भागीदारी को बढ़ावा देता है। इसके साथ ही न्याय वितरण में कानून प्रवर्तन की भूमिका को और मजबूत बनाता है।

डीजीपी ने कहा कि आज के समय की मांग को देखते हुए ये नये आपराधिक कानून लाए जा रहे है। इन नये कानूनों में दण्ड पर नहीं बल्कि न्याय पर जोर दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता 2023 में ये सुनिश्चित किया गया है कि अपराध के मामले में पीड़ित को तय समय सीमा में न्याय मिले। नए आपराधिक कानूनों में आतंकवाद और संगठित अपराध जैसे नए विषय भी शामिल किए गए है।

डीजीपी ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों में इस बात का ध्यान रखा गया है कि किसी शिकायत के समाधान में उससे जुड़े किसी भी पक्ष का उत्पीड़न ना हो। उन्होंने बताया की नये आपराधिक कानूनों में महिला और बच्चों से जुड़े सभी अपराधों को एक साथ पांचवें अध्याय में रखा गया है। 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के खिलाफ होने वाले अपराध के लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान है। वहीं इनमें पीड़ित को अब एफआईआर की एक प्रति मुफ्त हासिल करने का अधिकार दिया गया है। साथ ही 90 दिन के अंदर जांच की प्रगति की जानकारी देने को जरूरी बनाया गया है। भारतीय न्याय संहिता, श्रम या वेश्यावृति के लिए बच्चों की खरीद-फरोख्त को दंडनीय अपराध बनाती है।

डीजीपी ने कहा कि अक्सर कई ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें अपराध गंभीर होने पर भी कम उम्र होने के कारण आरोपी बच जाते थे। लेकिन अब मानसिक परिपक्वता के आधार पर तय होगा की अपराधी वयस्क है कि नहीं और उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

डीजीपी ने यह बताया कि मानव तस्करी एक बड़ी चुनौती हैं। भारतीय न्याय संहिता 2023 में इससे निपटने के लिए कानूनों को और मजबूत किया गया है। किसी भी व्यक्ति की तस्करी, वेश्यावृति और फिरौती के लिए मानव तस्करी को इनमें शामिल करते हुए आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड तक के प्रावधान किए गए हैं, इनमें भिक्षावृत्ति को भी जोड़ा गया है।

पुलिस महानिदेशक ने यह बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में अपराध स्थल से लेकर जांच और मुकदमें तक की प्रक्रियाओं को तकनीक से जोड़ा गया है। पीड़ित किसी भी प्रकरण में ई-एफआईआर करा सकते है। पीड़ित के साथ ही अपराधी को सजा दिलाने में गवाह की भूमिका बड़ी होती है।

प्रशांत कुमार ने बताया कि गवाहों को धमकियों से बचाने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में गवाह संरक्षण योजना को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि गवाहों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की भी आजादी होगी। उन्होंने कहा कि जेलों में बढ़ते कैदियों के दबाव को देखते हुए नए आपराधिक कानूनों में कई प्रावधान जोड़े गए हैं। नई तकनीक के जरिए मामलों के निस्तारण में तेजी आएगी, जिससे न्याय जल्दी मिलेगा और जेलों में कैदियों की संख्या कम होगी। इसके साथ ही छोटे अपराधों के लिए कम्युनिटी पनिशमेंट का प्रावधान किया गया है जिससे अनावश्यक तौर पर जेल जाने से मुक्ति मिलेगी।

डीजीपी ने कहा कि नोटिफिकेशन आने के बाद से ही नए आपराधिक कानूनों को लागू कराने के लिए पुलिस विभाग ने तैयारी शुरु कर दी थी। प्रदेश के जितने भी प्रशिक्षण संस्थान है उसमें पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। नए आपराधिक कानूनों की खास बात ये है कि ये लिंग तटस्थ है जो हर नागरिक के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। साथ ही ये निरीक्षण तंत्र की जवाबदेही को समयबद्ध तरीके से तय करते हैं और अपराध की नई चुनौतियों से निपटने के लिए तंत्र को सक्षम बनाते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/दीपक/मोहित

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story