पुस्तकालयाध्यक्ष पाठकों तक सहजता से उपलब्ध करायें पुस्तकें : दिनेश सिंह
प्रयागराज, 16 जनवरी (हि.स.)। पुस्तकालय ज्ञान का भण्डार होता है। परन्तु उसकी सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब उसका अधिक से अधिक उपयोग हो। पुस्तकालयाध्यक्ष के लिये पुस्तकों का संकलन उसके रख-रखाव के साथ-साथ यह भी दायित्व है कि वह पाठकों को उन्हें सहजता से उपलब्ध करा सकें। एक अच्छा पुस्तकालय अध्यक्ष अपने पाठकों में अध्ययन के प्रति रुचि पैदा करने वाला होना चाहिये। इसके लिये उसे वातावरण सृजन का भी कार्य करना होगा।
उक्त विचार राज्य शैक्षिक प्रबन्धन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) उप्र, प्रयागराज के निदेशक दिनेश सिंह ने डायट पुस्तकालयाध्यक्षों के तीन दिवसीय प्रशिक्षण के उद्घाटन अवसर पर मंगलवार को व्यक्त किया। इसमें प्रदेश के 60 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के पुस्तकालयाध्यक्ष प्रतिभाग कर रहे हैं। इस प्रशिक्षण में पुस्तकालय प्रबन्धन, नियोजन तथा कम्प्यूटरीकरण से सम्बन्धित विषय सम्मिलित किये जा रहे हैं। इस दौरान निदेशक ने तैयार प्रशिक्षण सन्दर्शिका का विमोचन भी किया।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ अमित खन्ना ने कहा कि पुस्तकालयों को सक्रिय बनाने के लिये पाठकों के रुचि के अनुसार पुस्तकों तथा पाठ्य सामग्री की उपलब्धता होनी चाहिये। डायट में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिक्षकों को भी पुस्तकालय के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है।
प्रशिक्षण के समन्वयक सरदार अहमद ने कहा कि पुस्तकों में अपार ज्ञान भरा पड़ा है। इसे पढ़ने से हम अपने समाज तथा राष्ट्र की उन्नति सम्भव बना सकते हैं। मोबाईल या लैपटॉप की तुलना में किताबों का अध्ययन सहज, सरल, प्रभावकारी तथा स्थायी होता है। अतः हमें ज्ञान प्राप्त करने के लिए किताबों का मार्ग चुनना चाहिये। संचालन सीमैट प्रवक्ता पवन सांवत ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/मोहित
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