मातृशक्ति स्वयं का, परिवार, समाज और राष्ट्र का चिंतन भारतीय दृष्टिकोण से करें : मीनाक्षी पिशवे

मातृशक्ति स्वयं का, परिवार, समाज और राष्ट्र का चिंतन भारतीय दृष्टिकोण से करें : मीनाक्षी पिशवे
WhatsApp Channel Join Now
मातृशक्ति स्वयं का, परिवार, समाज और राष्ट्र का चिंतन भारतीय दृष्टिकोण से करें : मीनाक्षी पिशवे


मातृशक्ति स्वयं का, परिवार, समाज और राष्ट्र का चिंतन भारतीय दृष्टिकोण से करें : मीनाक्षी पिशवे


लखनऊ, 24 दिसम्बर (हि.स.)। महिला समन्वय की अखिल भारतीय संयोजिका मीनाक्षी पिशवे ने रविवार को गोमतीनगर विस्तार स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल में अवध प्रांत के पांचवें मातृशक्ति सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि, भारत की आत्मा को समझने के लिए भारतीय दृष्टिकोण रखना जरूरी है। अतः सभी महिलाएं स्वयं का, परिवार, समाज और राष्ट्र का चिंतन भारतीय दृष्टिकोण से करें।

उन्होंने आगामी समय के लिए महिला समन्वय द्वारा परिवार प्रबोधन, पर्यावरण गतिविधि, सामाजिक समरसता, नागरिक कर्तव्य एवं स्वदेशी जैसे विषयों पर विशेष बल देने का सुझाव दिया। भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका पुरातन काल से ही अग्रणी है। हमें शारीरिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक विकास को पुनर्स्थापित करना है।

छत्तीसगढ़ से आयीं सहकार भारती की राष्ट्रीय सह संयोजिका डॉ. शताब्दी पांडेय ने कहा कि भारतीय संस्कृति नित्य नूतन और चिर पुरातन है। महिलाएं दोनों को आत्मसात कर आगे बढ़ें। विश्व की दृष्टि भारत पर है और भारत की दृष्टि मातृ शक्ति पर है। स्त्री परिवार की धुरी तो है ही। साथ ही समाज एवं राष्ट्र के लिये उसका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।

द्वितीय सत्र में 'भारत के विकास में महिला की भूमिका' पर मुख्य वक्तव्य जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया की पूर्व कुलपति प्रो. कल्पलता पांडेय ने भारत की व्याख्या करते हुए कहा कि ज्ञान के प्रकाश की ओर जो रत है, वह भारत है। अथर्ववेद में भी भारत का वर्णन है। भारत की आत्मा को समझना है तो इसे सांस्कृतिक दृष्टि से देखना होगा। कर्म से भारतीय बनना जरूरी है। भारतीय शिक्षा व्यवस्था को गंभीरता से अपने अंदर उतारना चाहिए। भारतीय होने पर गर्व होने का भाव नई शिक्षा नीति हमें देती है। जी-20 में महिला के नेतृत्व में विकास की बात कही गई है।

उन्होंने महिलाओं का आह्वान करते हुए कहा कि अपनी शक्ति को पहचानिए और अपनी रक्षा स्वयं करिए। आप व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व हैं। जब अस्मिता पर संकट आए तो काली बन जाइए। महिलाएं ही सभ्य नागरिक का निर्माण कर सकती हैं। बच्चों को संस्कार प्रदान करें। आत्मसम्मान से जीने की प्रवृत्ति स्वयं में पैदा करें। हम कुछ बनें या न बनें किन्तु अच्छे भारतीय अवश्य बनें।

द्वितीय सत्र की मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक प्रशिक्षण एवं भर्ती बोर्ड बोर्ड रेनुका मिश्रा ने कहा कि एक राष्ट्र अपनी महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार करता है, वह उसकी प्रगति में दृष्टिगोचर होता है। समस्या को अपना समझना पड़ेगा तभी समाधान होगा। हम अपनी जिम्मेदारियों को दूसरों पर प्रत्यारोपित करने के स्थान पर, अपने नियंत्रण की चीजों को तो करें। उन्होंने कहा कि मान लिया तो हार और ठान लिया तो जीत। उन्होंने सभी श्रोताओं से अच्छा नागरिक बनने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में प्रांत संयोजिका डॉ शुचिता, सिटी मोंटेसरी स्कूल की अध्यक्ष प्रोफेसर गीता गांधी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। मंच संचालन प्रोफेसर अलका एवं प्रोफेसर भारती पांडेय ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रान्त प्रचारक कौशल, महिला समन्वय की सह प्रांत संयोजिका अंजू प्रजापति, विभाग प्रचारक अनिल, विभाग कार्यवाह अमितेश, विजयलक्ष्मी, नीलम मिश्रा, डॉ. संगीता शर्मा, प्रशांत भाटिया, प्रभात अधौलिया, भुवनेश्वर, सिद्धार्थ आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / दिलीप शुक्ल

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story