शीतकालीन सत्र : चारों युगों में योगी सरकार जैसी कोई नहीं - चौधरी लक्ष्मीनारायण

शीतकालीन सत्र : चारों युगों में योगी सरकार जैसी कोई नहीं - चौधरी लक्ष्मीनारायण
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शीतकालीन सत्र : चारों युगों में योगी सरकार जैसी कोई नहीं - चौधरी लक्ष्मीनारायण


-11 लाख गायों का भरण पोषण करती है उप्र की योगी सरकार

लखनऊ, 29 नवंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण ने कहा कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर हो या फिर कलयुग, योगी सरकार जैसी कोई सरकार नहीं। योगी सरकार ने प्रदेश की 11 लाख गायों के भर पोषण का जिम्मा उठाया है।

शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन बुधवार को विपक्ष की ओर से शून्य प्रहर के दौरान छुट्टा जानवरों की व्यवस्था से जुड़े सवाल का उत्तर देते हुए चौधरी ने कहा कि विपक्ष के लोग छुट्टा जानवरों की बात करते हैं, हमारी सरकार इकलौती ऐसी सरकार है जिसने निराश्रित गोवंश को पालने के लिए रुपये दे रही है। इनकी सरकार में तो जानवर काटे जाते थे। मंत्री को सुनकर समाजवादी पार्टी के सदस्य अपनी कुर्सी पर खड़े होकर इसका विरोध करने लगे। हालांकि अध्यक्ष की मध्यस्थता से दोनो पक्ष शांत हुए। उल्लेखनीय है कि योगी सरकार निराश्रित गोवंश पालने वालों को प्रति गोवंश पर हर दिन 50 रुपये भुगतान करती है।

मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार धान खरीद रही है। प्रदेश भर में 5109 धान क्रय केन्द्र खोले गए हैं। इस साल अब तक सात लाख 47 हजार मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है। हालांकि यह पिछले साल की तुलना में यह कम है।

चौधरी ने पिछली सरकारों में धान की कम खरीद होने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 से 2017 के बीच लगभग 17 हजार करोड़ रुपये का सरकारी केन्द्रों के माध्यम से धान की खरीद हुई। योगी सरकार में 65 हजार 132 करोड़ रुपये का धान खरीदा गया है।

इससे पहले शून्य प्रहर के दौरान समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सदस्य मनोज पाण्डेय और ओम प्रकाश सिंह के छुट्टा जानवरों और धान की खरीद से जुड़े मुद्दे पर नियम 56 के तहत सदन में चर्चा कराए जाने की मांग की। ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि ठीक से धान की सरकारी खरीद नहीं हो पाने से किसान परेशान है। सरकार को इसके लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। जिन क्षेत्रों में धान की पैदावार अच्छी है, वहां विशेष व्यवस्था करने की जरूरत है। वहीं मनोज पाण्डेय ने कहा कि छुट्टा जानवरों से किसान परेशान है। सरकार को इसका स्थायी हल निकालना चाहिए।

सत्ता पक्ष और विपक्ष को सुनने के बाद विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि यह सूचना नियम 56 के तहत नहीं आती, इसलिए इसे अग्राह्य किया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिलीप शुक्ल/राजेश

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