ज्ञानी के अंदर अहंकार नहीं होता : अखिलदास

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ज्ञानी के अंदर अहंकार नहीं होता : अखिलदास


- बीएचयू विश्वनाथ मंदिर में नौ दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा, कल्याणकारी मंत्र भी बताया

वाराणसी,07 जुलाई (हि.स.)। सावन माह में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर में चल रहे नौ दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा के पांचवें दिन बुधवार को संगीतमय भजनों पर भक्त झूमते रहे। वैदिक मंत्रोच्चारण, गुरू व गणेश वंदना के बाद कथा वाचक कालरात्रि पीठाधीश्वर अखिलदास जी महाराज ने ज्ञान गंगा बहाई।

कथा की अमृत वर्षा कर उन्होंने कहा कि ईश्वर प्राप्ति का सरल उपाय भजन और बंदगी है। भगवान का अनुभव जब भक्तों के हृदय में होता है, तब उन्हें अलौकिक आनन्द का अनुभव प्राप्त होता है। तू कर प्रभु बंदगी और भजन जिंदगी में धीरे-धीरे, मिलेगी प्रभु की कृपा धीरे-धीरे। सियाराम तुम्हारे चरणों में यदि पेग किसी का हो जाए।

उन्होंने कहा कि दो चार जनों की बात है क्या संसार उसी का हो जाए। भगवान की बंदगी मनुष्य को वंदनीय बना देगी। ईश्वर बंदगी करने से जीवन में सबकुछ मिल जाता है। भक्त का कोई स्वार्थ नहीं होना साहिए। जिससे रोम-रोम पुलकित हो जाए वही सच्ची सेवा है। जिसमें देवतत्व होता है वह किसी का अहित नहीं करता है। प्रभु भजन नित कार्य करते हुए भी किया जाता है। ज्ञानी के अंदर अहंकार नहीं होता है। अहंकार पतन का कारण है। उन्होंने कथा के साथ समस्याओं के समाधान के लिए कल्याणकारी मंत्र भी बताया। सत्संग में हजारों की संख्या में भक्त शामिल हुए।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी / मोहित वर्मा

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