नेता जी सुभाष चंद्र बोस एवं गुमनामी बाबा में कई समानता : अनुज धर
वाराणसी, 04 मार्च (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में सोमवार को लेखक और शोधकर्ता अनुज धर ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी कई अनछुए रहस्यों से परदा हटाया। विश्वविद्यालय के हिन्दी प्रकाशन समिति (भौतिकी प्रकोष्ठ) विज्ञान संकाय में आयोजित एक दिवसीय विशेष व्याख्यान 'नेता जीः रहस्य गाथा' में अनुज धर ने शोध निष्कर्षो का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि नेता जी सुभाष चंद्र बोस एवं गुमनामी बाबा में कई समानताएं रही। गुमनामी बाबा के सामान में स्वयं नेता जी के माता पिता की फोटो मिली थी। चश्मा,किताब,सात दांत, सिगार एवं घड़िया सब नेता जी की थी। गुमनामी बाबा जिनका देहान्त सितम्बर 1985 में हुआ, के रूप में नेता जी उत्तर प्रदेश में ही अलग-अलग स्थानों पर रहे। जिनसे तब के मुख्यमंत्री सम्पूर्णानन्द भी मिलने जाया करते थे।
उन्होंने बताया कि गुमनामी बाबा के दांतों की डीएनए में आये वास्तविक परिणाम उस समय बदले गये थे। सरकारी तंत्र पूरी तरह से नेता जी की वास्तविकता को आम लोगों के बीच लाने में अवरोध डाल रहा था। उन्होंने कहा कि गुमनामी बाबा की हैण्ड राइटिंग को भारत में कई लोगों ने पहले गलत साबित किया, बाद में राइटिंग फोरेंसिच एक्सपर्ट बी लाल कपूर एवं कर्ट बग्गट ने भी कहा कि वो मैच करता है।
ताईवान ने भी बताया कि बताये जा रहे महिने में एक भी प्लेन क्रेश नहीं हुआ था। नेता जी के परिवार,दोस्त,परिचितों का वर्ष 1968 तक जासूसी होती रही। उन्होंने बताया कि भाजपा के शीर्ष नेता रहे अटल बिहारी बाजपेयी भी नेता जी के जीवित होने की बात से अवगत थे। उन्होंने कहा कि नेता जी की अस्थियां आज भी भारत सरकार के अधिकार में है।
गौरतलब हो कि अनुज धर को सुभाष चंद्र बोस से संबंधित अपने लंबे शोध के लिए जाना जाता है, खासकर उनके रहस्यमय ढंग से गायब होने के मुद्दे पर। धर की 2012 की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब 'इंडियाज बिगेस्ट कवर-अप' ने नेताजी फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए आंदोलन शुरू किया। जिस पर ऑल्ट बालाजी की हिट वेब सीरीज 'बोसः डेड व अलाइव' बनी। 2018 में, लेखक धर ने 'योर प्राइम मिनिस्टर इस डेड' लिखा, जो पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के मृत्यु रहस्य का पहला व्यापक अध्ययन है।
धर ने विवेक अग्निहोत्री की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म 'द ताशकंद फाइल्स' के लिए इनपुट प्रदान किए। 2019 में, धर 'कॉननड्रमः सुभाष बोस की मृत्यु के बाद का जीवन' लेकर आए, जिसके सह-लेखक चंद्रचूड़ घोष थे। दोनों ने हिट बंगाली फिल्म 'गुमनामी' के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई-जिसने राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता। विशेष व्याख्यान का आयोजन हिन्दी प्रकाशन समिति के संयोजक प्रो.ज्ञानेश्वर चौबे ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.चंद्र शेखर पति त्रिपाठी ने किया।
कार्यक्रम में विज्ञान संकाय के निदेशक प्रो.संजय कुमार,विज्ञान संकाय के प्रमुख प्रो.सुख महेंद्र सिंह,डॉ.सचिन तिवारी,प्रो.अनिल कुमार त्रिपाठी आदि भी मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश
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