आनलाइन व्याख्यान के साथ आयोजित हुआ योग प्रशिक्षण कार्यक्रम
गोरखपुर, 13 दिसंबर (हि.स.)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ द्वारा कुलपति प्रो. पूनम टण्डन के संरक्षण में चल रहे सप्तदिवसीय शीतकालीन योग कार्यशाला विषय ’योग एवं नाथपंथ’ दिनांक 13 दिसम्बर को योग प्रशिक्षण के पांचवें दिन भी प्रतिभागियों की काफी संख्या रही। आज के मुख्य वक्ता डॉ. रंजन लता, सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय रहीं। डा. विनय कुमार मल्ल द्वारा चक्रासन, मकरासन, प्राणायाम, जलनेति आदि का प्रशिक्षण दिया गया। इसमें स्नातक, परास्नातक आदि विद्यार्थी एवं अन्य लोग सम्मिलित हुए।
पूर्वान्ह 11 बजे आनलाइन माध्यम से सिद्ध सिद्धांत पद्धति विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशल नाथ मिश्र के द्वारा हुआ। सहायक निदेशक डॉ. सोनल सिंह के द्वारा मुख्य वक्ता का स्वागत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. रंजन लता ने अपने सम्बोधन में कहा कि सिद्ध सिद्धांत पद्धति नाथपंथ का महत्त्वपूर्ण दार्शनिक ग्रंथ है। एक ऐसी शास्त्रीय पद्धति है जो कि भारतीय ज्ञान परंपरा को एक दृढ़ आधार प्रदान करती है। इसमें एक समन्वयकारी प्रवृत्ति देखने को मिलती है। इसमें अनुभव की प्रधानता है। नाथपंथ ने अनुभव को प्रधानता दी है। इसका प्रभाव यहाँ देखने को मिलता है। इसमें व्यष्टि, पिंड, ब्रह्मांड, समष्टि आदि की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा किया गया है।
इस आनलाइन व्याख्यान में कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन शोधपीठ के रिसर्च एसोसिएट डॉ. सुनील कुमार द्वारा किया गया। शोधपीठ के सहायक ग्रन्थालयी डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी, शोध अध्येता डॉ. हर्षवर्धन सिंह, चिन्मयानन्द मल्ल आदि उपस्थित रहे। विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के साथ ही विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के आचार्य सहित डॉ. हेमलता, डॉ. सौरभ आदि जुड़े रहे।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय

