साहित्य में सृजन की धारा चिरकाल तक प्रवाहित होती रहेगी : विश्वंभर शुक्ल
लखनऊ, 27 मई (हि.स.)। साहित्यिक संस्था युगधारा फाउंडेशन लखनऊ और मुक्तक लोक संपूर्ण हिंदी साहित्यांगन के संयुक्त तत्वावधान में चारबाग स्थित होटल विश्वनाथ में सोमवार को एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन विभिन्न सत्रों में किया गया।
इस मौके पर प्रोफेसर विश्वंभर शुक्ल ने कहा कि हम सजग प्रहरी राष्ट्र के हर चुनौती के लिए तत्पर हैं। साहित्य में निरंतर सृजन की धारा सदियों से बहती चली आ रही है और यह यूं ही चिरकाल तक प्रवाहित होती रहेगी।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में विद्वान वक्ताओं शिवमोहन सिंह और रामकृष्ण वि सहस्रबुद्धे ने समकालीन साहित्य में रचनाकारों की भूमिका, साहित्य और समाज का सम्बन्ध विषय पर विस्तार से चर्चा की।
मुक्तक लोक साहित्यांगन के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर विश्वंभर शुक्ल की दो कृतियां गुल्लक टूटी आंसू छलके, छुपे दृगों में हजार बादल तथा युगधारा फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित साझा संकलन का समकालीन सृजन के सशक्त हस्ताक्षर का लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. उमाशंकर शुक्ल ने की। मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री विद्या विंदु सिंह मंच पर उपस्थित थे। इनके अतिरिक्त डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी ने भी मंच को सुशोभित किया।
इस अवसर पर उपस्थित रचनाकारों को सम्मानित किया गया। साथ ही वरिष्ठ कवि निडर जौनपुरी की अध्यक्षता में अयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में प्रमुख रूप से अतिथि रचनाकारों के अतिरिक्त कविता सूद, रोशनी किरण, प्रदीप भट्ट, अशोक पांडेय अशोक, माधुरी मिश्र, किरन तिवारी, रीता सिंह, एच पी गुप्ता, विनोद दुबे, श्रीशचंद्र दीक्षित पूजा पाण्डे, आदि ने काव्य पाठ किया। इस अवसर पर गीता अवस्थी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष आकाश अवस्थी एवं महासचिव सौम्या मिश्रा एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/दिलीप/राजेश
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