एचआईवी संक्रमित व्यक्ति की सहमति के बिना उसकी स्थिति का खुलासा नहीं हो सकता
-पीड़ितों के मौलिक अधिकार में भेदभाव किए जाने पर 3 माह से लेकर 2 साल तक का जेल
वाराणसी, 09 दिसम्बर (हि.स.)। बीएचयू आईएमएस एसएस हॉस्पिटल के एआरटी सेंटर के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ मनोज कुमार तिवारी ने कहा कि एचआईवी संक्रमित लोगों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसमें एचआईवी संक्रमितजनों के साथ भेदभाव करने पर जेल भी हो सकती है। एचआईवी/एड्स (प्रीवेंशन एंड कंट्रोल) एक्ट 2017 में एचआईवी के साथ जी रहे लोगों के भी वही सारे मौलिक अधिकार हैं जो आमजन के हैं।
विश्व एड्स दिवस के अवसर पर शनिवार को डॉ मनोज एचआईवी एड्स पीड़ितजनों के मौलिक अधिकार विषयक एक दिवसीय ऑनलाइन गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय बालिका महाविद्यालय सेवापुरी की प्राचार्या डॉ सुधा पांडेय के निर्देशन में संचालित संविधान चेतना जागरूकता अभियान (26 नवंबर 2023 से 28 जनवरी 2024) के अंतर्गत आयोजित गोष्ठी में डॉ मनोज ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ भेदभाव किए जाने पर 3 माह से लेकर 2 साल तक का जेल तथा एक लाख का जुर्माना हो सकता है।
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के सहमति के बिना उसकी स्थिति का खुलासा नहीं किया जा सकता, आम व्यक्तियों के सामान्य उसे शिक्षा का अधिकार, समानता का अधिकार, संपत्ति का अधिकार, विवाह का अधिकार, संतान उत्पत्ति का अधिकार, बीमा करने का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार, कहीं भी आने-जाने के स्वतंत्रता का अधिकार व स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त है। एचआईवी संक्रमण के कारण किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों को बाधित नहीं किया जा सकता है।
वर्चुअल गोष्ठी में महाविद्यालय की छात्राओं ने बढ़-कर का हिस्सा लिया। छात्राओं ने वक्ता से प्रश्न पूछ कर एचआईवी/एड्स संबंधी जानकारी हासिल किया। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के राजनीति विभाग के डॉ रवि प्रकाश गुप्ता ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश
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