राष्ट्र की प्रगति में संविधान की भूमिका का बड़ा महत्व : न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर

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राष्ट्र की प्रगति में संविधान की भूमिका का बड़ा महत्व : न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर


— चौबेपुर में ग्रामीण विद्यार्थियों संग संवाद, जिम्मेदार नागरिक बनने का दिया संदेश

वाराणसी, 27 अप्रैल (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर ने रविवार को चौबेपुर स्थित भंदहा कला (कैथी) गांव में आशा ट्रस्ट के पुस्तकालय में ग्रामीण विद्यार्थियों के साथ संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने संविधान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी राष्ट्र की मजबूती और प्रगति का मूल आधार उसका संविधान होता है।

न्यायमूर्ति माथुर ने भारत के स्वतंत्रता के समय का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत को आज़ादी के साथ ही एक सशक्त और व्यवस्थित संविधान प्राप्त हुआ, जबकि उसी समय स्वतंत्र हुए एक अन्य देश को 25 वर्षों तक कोई निश्चित संविधान नहीं मिला। इसका परिणाम यह हुआ कि वह देश आज विकास के अनेक मानकों पर काफी पिछड़ गया, जबकि हम (भारत) दुनिया की बड़ी ताकत बनने की और अग्रसर हैं । उन्होंने विद्यार्थियों को संविधान में निहित अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा दी और जिम्मेदार नागरिक बनने का संदेश दिया।

उन्होंने कहा कि शिक्षा के संसाधनों का अधिकतम उपयोग करते हुए विद्यार्थियों को देश के भविष्य निर्माण में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। कार्यक्रम में उनकी धर्मपत्नी तथा उच्च न्यायालय की अधिवक्ता, सहित अन्य विशिष्ट अतिथि भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर अवकाश प्राप्त केंद्रीय जांच ब्यूरो अधिकारी श्यामाचरण पाण्डेय ने नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के व्यक्तित्व पर लिखी अपनी स्वरचित दो पुस्तकें जस्टिस माथुर को भेंट की। ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने स्वागत करते हुए बताया कि ट्रस्ट बालिकाओं की शिक्षा और व्यक्तित्व विकास के लिए छह स्थानों पर पुस्तकालयों का संचालन कर रहा है।

इस दौरान प्रदीप सिंह, ज्योति सिंह, रणवीर पाण्डेय, अनुष्का पाण्डेय, एडवोकेट सुजीत कुमार, एडवोकेट प्रमोद कुमार साहनी, एडवोकेट अनिल श्रीवास्तव, साधना पाण्डेय, सरोज सिंह, अरुण राजन और रमेश चन्द्र श्रीवास्तव आदि भी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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