1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की साक्षी है लखनऊ की रेजीडेंसी

अवध महोत्सव के हेरिटेज वाॅक में रविवार को कराई गई लखनऊ की रेजीडेंसी की सैर
लखनऊ, 19 मार्च (हि.स.)। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की साक्षी है लखनऊ की रेजीडेंसी। लखनपुरी में चल रहे अवध महोत्सव के अन्तर्गत रविवार को हुए हेरिटेज वाॅक में रेजीडेंसी की सैर कराई गई। लखनऊ के इतिहासकार डाॅ भट्ट ने रेजीडेसी के बारे में महत्पूर्ण जानकारियां दीं।
इतिहासकार डाॅ भट्ट ने बेलीगारद् के गेट से लेकर नेटिव हाउस, दावत खाना, मार्टिनियर पोस्ट, कबिस्तान तक के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि बलरामपुर अस्पताल का पुराना नाम हिन्द रेजीडेंसी हॉस्पिटल था। बताया कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में बेगम हजरत महल के नेतृत्व में पूरे शहर में हिन्दुस्तानियों का कब्जा हो चुका था। केवल इसी रेजीडेंसी पर ही अंग्रेज को अधिकार रह गया था। हिन्दुस्तानी सैनिक पहली जुलाई से 27 नवम्बर तक घेरा डाले रहे। गोलियां चलती थी, लोग रोज मरते थे। घेरांबदी के समय अंग्रेजों को बड़ी तकलीफों से गुजरना पड़ा था। उन्हें भोजन सहित कई तरह की तंगी से गुजरना पड़ा था। उन्होंने बताया कि यहां के कब्रिस्तान में कई अंग्रेज अफसर दफन हैं। कब्रिस्तान में अंग्रेजों के शव को बिना किसी संस्कार के ही दफना दिया गया था।
उन्होंने बताया कि इसका नाम रेजीडेंसी है लेकिन यह एक तरह से एम्बेसी थी। यह 36 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है। यह अंग्रेजों का एक छोटा टाउनशिप सा था। इसमें सब कुछ था। इसके बाद वह दावात खाना ले गए, जहां के बारे में उन्होंने बताया कि यह अंग्रेजों का डिनर-लंच होता था। इसके अलावा उन्होंने लखौरी ईटों, लालबाग के साथ ही बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारियां दी। हरिटेज वाॅक में सौ से अधिक लोग शामिल हुए। उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी की ओर से आए हुए लोगों को चाय और सुबह का नाश्ता भी कराया गया। सभी यहां के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां ली।
हिन्दुस्थान समाचार/शैलेंद्र
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