चौबेपुर भंदहा कला के जलाशय में मिले देव प्रतिमाओं के अवशेष 9वीं-10 वीं शताब्दी के

चौबेपुर भंदहा कला के जलाशय में मिले देव प्रतिमाओं के अवशेष 9वीं-10 वीं शताब्दी के
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चौबेपुर भंदहा कला के जलाशय में मिले देव प्रतिमाओं के अवशेष 9वीं-10 वीं शताब्दी के


चौबेपुर भंदहा कला के जलाशय में मिले देव प्रतिमाओं के अवशेष 9वीं-10 वीं शताब्दी के


-क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी और उनकी टीम के आख्या से ग्रामीण उत्साहित, तालाब और मंदिर के सौंदर्यीकरण की आस जगी

वाराणसी, 29 अप्रैल (हि.स.)। चौबेपुर क्षेत्र के भंदहा कला गाँव में स्थित विशाल जलाशय के आस-पास स्थित लघु देव प्रतिमाओं और मंदिर स्थापत्य के कुछ अवशेष स्थित हैं। जिनकी पुरातात्विक जांच के लिए ग्रामवासी लगातार प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीणों के प्रयास पर क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. सुभाष चन्द्र यादव की टीम ने क्षेत्र का अध्ययन करके अपनी आख्या प्रस्तुत की है। आख्या से ग्रामीण भी उत्साहित हैं।

क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता वल्लभाचार्य पांडेय बताते हैं कि क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी की आख्या के अनुसार विशाल जलाशय में मिले देव प्रतिमाओं के अवशेष 9वीं-10 वीं शताब्दी के आस-पास के हैं। वहीं, पास में ही स्थित एक मुखी शिवलिंग 7-8 वीं शताब्दी के आस-पास का है। इस एक मुखी शिवलिंग की प्रतिमा अद्भुत है। इसे स्वयंभू त्रिपुरारी महादेव के रूप में ग्रामवासी पूजते हैं। उन्होंने बताया कि इस जलाशय का वास्तविक क्षेत्रफल 6 एकड़ से भी अधिक है। इसे अमृत सरोवर योजना में सुन्दरीक के लिए भी चयनित किया गया है। लेकिन जलाशय के अधिकाँश हिस्से पर अतिक्रमण होने के कारण सौंदर्यीकरण का कार्य अभी तक नहीं हो सका है। तालाब में स्थित स्तम्भ की ऊंचाई 9 फीट और व्यास 4 फीट है। उस पर अंकित अभिलेख के आधार पर पुरातत्व विभाग ने इसे 19वीं शताब्दी का होना बताया है।

इसी प्रकार अन्य खंडित देव विग्रह की उपस्थिति इस स्थान पर किसी भव्य मन्दिर का अस्तित्व होने का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि भंदहा कला के निवासी एवं उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अधिवक्ता पवन पाण्डेय ने इन प्राचीन देव प्रतिमाओं के संरक्षण और जलाशय के सौंदर्यीकरण के साथ ही स्वयंभू त्रिपुरारी महादेव के रूप में पूजित दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग का भव्य मंदिर बनाने की दिशा में विगत वर्षों से लगातार प्रयास किया है। इसके फलीभूत होने का समय अब निकट है। पुरारात्व विभाग की आख्या आने के बाद शासन भी इसे संज्ञान अवश्य लेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दिलीप

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