बीएचयू के युवा महोत्सव स्पंदन के मंच पर दिखी लघु भारत की तस्वीर

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बीएचयू के युवा महोत्सव स्पंदन के मंच पर दिखी लघु भारत की तस्वीर


बीएचयू के युवा महोत्सव स्पंदन के मंच पर दिखी लघु भारत की तस्वीर


— लोक संस्कृति के रंगों में सराबोर परिसर,13 प्रतियोगिताओं में लगभग 850 प्रतिभागियों ने की भागीदारी

वाराणसी,05 मार्च (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एम्फीथिएटर मैदान में सजे ‘अंतर-संकाय युवा महोत्सव- स्पंदन’ के मंच पर बुधवार को जब ‘कांच ही बांस के बहंगिया गीत’ गूंजा तो जैसे पूरे परिसर में लोक संगीत की सुगंध बिखर गई। लोक और आदिवासी नृत्य प्रतियोगिता में मंच पर नागपुरी, घूमर, कजरी, असमिया, जोगवा, लावणी, तारातली सरीखे माटी के नृत्य विधाओं का रंग जमा, तो प्रतिभागियों के साथ-साथ दर्शकों के भी पैर थिरकने लगे। कार्यक्रम में प्रतिभागियों की एक टीम ने आग और मटके के साथ मंच पर राजस्थान की मशहूर लोक नृत्यशैली ‘भावानी’ प्रस्तुत कर पूरी महफिल लूट ली।

प्रतियोगिता में विभिन्न संकायों, संस्थानों और महाविद्यालयों की टीमों ने अपने संगीत की धुन के साथ अपने कदम और भाव-भंगिमाओं का मेल किया। स्पंदन में एम्फीथिएटर मैदान जहां लोकनृत्य का साक्षी बना। वहीं, पं. ओमकार नाथ ठाकुर प्रेक्षागृह शास्त्रीय नृत्य का गवाह बना। प्रतिभागियों ने कथक, भरतनाट्यम और ओडिशी के जरिए प्रेम, मौसम के रंग और आस्था को भाव भंगिमा से प्रस्तुत किया। प्रतियोगिताओं के आखिरी दिन गायन के प्रतिभागियों ने भी पूरे परिसर को संगीतमय कर दिया। कृषि शताब्दी सभागार में जब एक प्रतिभागी ने अंदाज-ए-करम का राग छेड़ा तो पूरा सभागार ही सूफियाना हो गया। लाइट वोकल सोलो प्रतियोगिता में कुल 22 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। ‘आजू मिथिला नगरीया निहाल सखिया, चारो दूल्हा में बड़का कमाल सखिया’ के स्वर ने तो सभा में शादी के जैसा माहौल बना दिया। वहीं, पं. ओमकार नाथ सभागार में जब एक प्रतिभागी ने ‘राग जौनपुरी’ में ‘पायल की झंकार’ सुनाया तो पुरा प्रेक्षागृह तालियों की गड़गड़ाहट से गुंज उठा।

इसी क्रम में ‘कश का सफर था आसान कितना, पर अंजाम था उसका अंजान कितना’ नशा मुक्त समाज की अवधारणा पर स्वतंत्रता भवन में इस विषय पर प्रतिभागियों ने लघु नाटक किया। जिसका संदेश था इलाज से बेहतर परहेज। स्वतंत्रता भवन का मंच आज एक बार फिर स्वंतत्रता सेनानियों को समर्पित- भगत सिंह, मानसिक स्वास्थ्य, मानवीय संवेदना और महाकुंभ की घटनाओं पर हुए लघु नाटक की जीवंत प्रस्तुतियों का साक्षी बना। मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र का महामना सभागार प्रतिभागियों के अद्भुत भाव-भंगिमा का गवाह बना। 10 टीमों ने जब ‘रिश्तों से बड़ा पैसा, डिग्री है तो नौकरी नहीं, फेसबुक स्कॉलर, बढ़ती महंगाई-घटती आमदनी’ जैसे जरूरी सामाजिक मुद्दों पर अपनी अभिव्यक्ति प्रस्तुत किया तो सभागार इन मुद्दों से ज्वलंत हो उठा। ललित कला में आज मेहंदी, स्केचिंग और पोस्टर मेंकिंग की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। मालवीय भवन में ‘स्वच्छ बीएचयू, हरा बीएचयू’ विषय पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई।

शारीरिक शिक्षा विभाग के डॉ. कर्ण सिंह हॉल में संस्कृत वाद-विवाद और संस्कृत कविता में प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ। जिसमें क्रमशः 14 और 9 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। वहीं, विधि संकाय के फैकल्टी लाउंज में क्विज कंम्पटिशन का फाइनल राउंड खेला गया। महोत्सव के आखिरी दिन हुई 13 प्रतियोगिताओं में तकरीबन 850 प्रतिभागियों ने प्रतिस्पर्धा की। सभी प्रतियोगिताओं के परिणाम की घोषणा और पुरस्कार का वितरण गुरूवार को एम्फीथिएटर मैदान में होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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