पर्यावरण को क्षति पहुंचाए बिना पीढ़ियों की जरूरतों को करना होगा विकसित : एस.के. डोरा
लखनऊ, 15 अप्रैल (हि.स.)। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश उत्तराखंड इकोनॉमिक एसोसिएशन एवं अंबेडकर स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज बीबीएयू के संयुक्त तत्वाधान में 'समानता के साथ विकास को कायम रखना: 21वीं सदी में क्षेत्रीय विकास,व्यापार और सामाजिक सुरक्षा' संगोष्ठी हुई। इस संगोष्ठी में देश भर के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से प्रतिभागियों ने भाग लिया था।
नाबार्ड, क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ के चीफ जनरल मैनेजर एस० के० डोरा ने कहा कि सतत विकास के माध्यम से वर्तमान में पर्यावरण व अन्य क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाये बिना हमें भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता को विकसित करना होगा। तभी ही हमारा राष्ट्र वास्तविक रूप से प्रगति पथ पर अग्रसर होगा।
डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू ने चर्चा के दौरान कहा कि पर्यावरण के चिंतकों को पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न तरीकों की खोज करनी होगी, क्योंकि पर्यावरण को अब तक हुए नुकसान को तब तक नहीं बदला जा सकता, जब तक हम सामूहिक रूप से इस समस्या पर विचार नहीं करते। इसीलिए इस क्षेत्र में हम सभी को गंभीरता के साथ कदम उठाने होंगे।
डॉ० भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा के पूर्व कुलपति प्रो.अशोक मित्तल ने आर्थिक विकास को आज की जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति आय एवं सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि करके आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है। अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० एन० एम० पी० वर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा, कि शिक्षा को मूलभूत आवश्यकताओं में सम्मिलित किया जाना चाहिए, क्योंकि शिक्षा के माध्यम से ही अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि सभी क्षेत्रों में देश की वास्तविक छवि को सुधारा जा सकता है।
इसके अतिरिक्त यूको बैंक के जोनल हेड सौरभ सिंह ने सरकार एवं बैंक द्वारा लागू की गयी विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तृत चर्चा की। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से प्रतिभागियों को पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/राजेश
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