श्री श्री रुद्र महायज्ञ में शिव भक्ति का अविरल प्रवाह, भक्तों का उमड़ा सैलाब

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श्री श्री रुद्र महायज्ञ में शिव भक्ति का अविरल प्रवाह, भक्तों का उमड़ा सैलाब


श्री श्री रुद्र महायज्ञ में शिव भक्ति का अविरल प्रवाह, भक्तों का उमड़ा सैलाब


श्री श्री रुद्र महायज्ञ में शिव भक्ति का अविरल प्रवाह, भक्तों का उमड़ा सैलाब


श्री श्री रुद्र महायज्ञ में शिव भक्ति का अविरल प्रवाह, भक्तों का उमड़ा सैलाब


श्री श्री रुद्र महायज्ञ में शिव भक्ति का अविरल प्रवाह, भक्तों का उमड़ा सैलाब


गोरखपुर, 20 अक्टूबर (हि.स.)। पिपराइच विधान सभा क्षेत्र के मठिया ग्राम में अवस्थित प्राचीन शिव मंदिर इन दिनों पवित्र और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत है। यहां श्री श्री रुद्र महायज्ञ का दिव्य आयोजन चल रहा है, जो शिव कृपा और भक्तिरस का अद्वितीय संगम प्रस्तुत कर रहा है। इस महायज्ञ का संचालन परम आदरणीय यज्ञाचार्य हरिश्चंद्र उपाध्याय के कुशल मार्गदर्शन में किया जा रहा है। प्रतिदिन वेदमंत्रों की गूंज और भक्तों के जयकारों से समूचा वातावरण अनहद नाद से गुंजायमान हो रहा है। इस महायज्ञ में भक्तगणों की विशाल उपस्थिति ने समूचे क्षेत्र को भक्तिमय बना दिया है, जिससे यहां उपस्थित प्रत्येक जनमानस में शिव भक्ति का अविरल प्रवाह हो रहा है।

इस महायज्ञ के अंतर्गत प्रत्येक रात्रि 8 बजे से रामलीला का मंचन किया जा रहा है, जो श्रद्धालुओं के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। प्रशिक्षित और समर्पित कलाकारों द्वारा रामायण के पवित्र प्रसंगों को अत्यंत भावविभोर शैली में प्रस्तुत किया जा रहा है, जिससे उपस्थित दर्शकगण अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभूति से अभिभूत हो रहे हैं। रामलीला के इन प्रसंगों के माध्यम से भगवान राम के जीवन की अमर लीलाओं का जीवंत चित्रण हो रहा है, जो प्रत्येक दर्शक के मन में धर्म, नीति और कर्तव्य के प्रति गहरी आस्था उत्पन्न कर रहा है।

रामलीला का आरंभ ऋषि विश्वामित्र के राजा दशरथ के राजमहल में आगमन के दृश्य से होता है, जिसमें ऋषि यज्ञ की रक्षा हेतु राम और लक्ष्मण को मांगने आते हैं। इस दृश्य में कलाकारों द्वारा प्रदर्शित संवाद और उनकी भावनात्मक अभिव्यक्ति इतनी सजीव थी कि उपस्थित जनसमुदाय के हृदयों में भक्ति और श्रद्धा का संचार हो गया। राजा दशरथ और ऋषि विश्वामित्र के मध्य संवाद ने धर्म और कर्तव्य के मर्म को उजागर किया, जिससे जनमानस को आदर्श राजा और ऋषि के चरित्र का साक्षात्कार हुआ। यह दृश्य धर्मनिष्ठ राजा और तपस्वी ऋषि की महानता को दर्शाता है, जिसने राजा दशरथ को अपने पुत्रों का बलिदान करने के लिए प्रेरित किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय

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