नाटी इमली के ऐतिहासिक भरत मिलाप में चारों भाइयों को गले मिलते देख लाखों लीलाप्रेमियों के नयन सजल
—राजा रामचंद्र की जय,हर—हर महादेव के गगनभेदी उद्घोष से गूंजा भरत मिलाप मैदान
वाराणसी,13 अक्टूबर (हि.स.)। नाटी इमली के ऐतिहासिक भरत मिलाप मैदान में रविवार को गोधूलि बेला में 14 वर्ष बाद प्रभु श्रीराम सहित चारों भाइयों को गले मिलते देख लाखों लीलाप्रेमियों के नयन सजल हो गए। चारों भाइयों के मिलन के अद्भुत पल में लगा मानों समय भी ठिठक गया हो। लोगों की निगाहें एक टक रामलीला मंच पर ही टिक गईं। अवसर था काशी के लक्खा मेले में शुमार विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली के भरत मिलाप का। श्री चित्रकूट रामलीला समिति की ओर से आयोजित मेले के 481 वें वर्ष में प्रभु श्रीराम समेत चारों भाइयों के मिलन के अद्भुत पल का साक्षी बनने के लिए मैदान में श्रद्धालु अपरान्ह एक बजे से ही पहुंचने लगे। यह क्रम रामलीला के समापन तक बना रहा। रामलीला के दौरान मैदान में लोगों को त्रेता युग और काशी में अयोध्या का एहसास हो रहा था। इसके पूर्व अपराह्न 3.45 बजे पुष्पक विमान पर सवार होकर भगवान राम, लक्ष्मण व माता सीता अपने सेना प्रमुखों जामवंत, अंगद, लंकापति महाराज विभीषण के साथ धूपचंडी चित्रकूट स्थित रामलीला मैदान से भरत मिलाप स्थल नाटी इमली के लिए प्रस्थान किए। विशाल पुष्पक विमान सैकड़ों यादव बंधु अपने कंधों पर उठाये लगभग दौड़ते हुए शाम चार बजे नाटी इमली मैदान में पहुंचे। उधर, पवनपुत्र हनुमान से भगवान राम, लक्ष्मण व माता सीता के अयोध्या वापस आने की सूचना मिलते ही भरत व शत्रुघ्न अयोध्या भवन से बड़ा गणेश, चित्रकूट सीमा,नाटी इमली मैदान पहुंचे। इस बीच लोहटिया से ही हाथी पर सवार होकर पूर्व काशी नरेश के वंशज डॉ. अनंत नारायण सिंह व दो अन्य हाथियों पर उनके पुत्र समेत राजपरिवार के सदस्य नाटी इमली की ओर चले। रास्ते में हर-.हर महादेव का उद्घोष व हाथ जोड़कर लोग डॉ. अनंत नारायण सिंह का गर्मजोशी से अभिनन्दन करते रहे। नाटी इमली के मैदान में डॉ. अनंत नारायण सिंह का काफिला पहुंचा। हाथी पर सवार डॉ. अनंत नारायण सिंह ने रामलीला के मंच की परिक्रमा की। इसके बाद पुलिस और पीएसी की सशस्त्र टुकड़ी ने उन्हें गार्ड ऑफ आनर दिया। डॉ. अनंत नारायण सिंह ने परम्परानुसार मेले के व्यवस्थापक को स्वर्णमुद्रा दी। इसके बाद मंच के एक ओर हाथियों का काफिला खड़ा हो गया। डॉ. अनन्त नारायण सिंह की उपस्थिति में नाटीइमली प्रतीक रूप से अयोध्या सीमा पर भरत व शत्रुघ्न पहुंचे। दूर से ही अनुज भरत और शत्रुघ्न ने बड़े भइया राम,सीता और लक्ष्मण को देखा और वे साष्टांग दंडवत हो गये। भाई भरत को इस तरह से दंडवत देखकर भगवान राम खुद को रोक नहीं सके और पुष्पक विमान से उतर दौड़ पड़े। शाम 4.40 बजे मंच के समीप गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस के उत्तर कांड की चौपाइयां परे भूमि नहिं उठत उठाए, बर करि कृपासिंधु उर लाए। स्यामल गात रोम भए ठाढ़े, नव राजीव नयन जल बाढ़े...। भरत जी पृथ्वी पर पड़े हैं। उठाए नहीं उठ रहे हैं। कृपासिंधु भगवान राम ने उन्हें उठाकर हृदय से लगा लिया। इसके साथ ही चारों भाइयों का अस्ताचलगामी सूर्य की किरणों की लालिमा में भावपूर्ण मिलन देख लाखों लीला प्रेमी भावुक हो गए। भगवान राम ने बारी-बारी से भरत और शत्रुघ्न को गले से लगाया और भातृ विरह की वेदना चारों भाइयों की आंखों से आंसुओं के रूप में बह निकली। यह देख पुष्प वर्षा के बीच लीला स्थल पर मौजूद लाखों श्रद्धालु राजा रामचंद्र की जय,चारों भइयन की जय, हर-हर महादेव का उदघोष करने लगे। गले मिलने के बाद चारों भाइयों ने चारों दिशाओं में घूमकर परम्परागत रूप से लीला प्रेमियों को दर्शन दिया। इसके पश्चात चारों भाइयों को पुष्पक विमान पर ले जाया गया। जहां भरत व शत्रुघ्न ने माता सीता को प्रणाम किया। इस दौरान रामलीला मैदान के आसपास के भवनों के छतों, बारजों से लेकर हर कोने तक भीड़ डटी रही। पूरे इलाके में तिल रखने की जगह नहीं थी। प्रभु राम के आगमन पथ के दोनों तरफ कतारबद्ध लाखों की भीड़ खड़ी रही। भगवान राम, भइया लक्ष्मण, जनक नन्दनी सीता को नाटी इमली के मैदान में देख हर तरफ हर-हर महादेव का जयघोष गूंज उठा। नाटीइमली मैदान से परंपरानुसार लाल पगड़ी बांधे सैकड़ों यादव बंधु पुष्पक विमान को कंधे पर उठाकर बड़ा गणेश स्थित अयोध्या भवन पहुंचे। इस दौरान पूरे रास्ते छतों पर सड़क के किनारे खड़े श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर रथ पर विराजमान चारों भाइयों का दर्शन किया। नाटी इमली से ईश्वरगंगी, डीएवी काॅलेज, नवापुरा, लोहटिया होते हुए पुष्पक विमान अयोध्या भवन पहुंचा। यहां पर लीला व्यवस्थापक ने पंच स्वरूपों की आरती उतारी। इसी के साथ विश्व प्रसिद्ध भरत मिलाप लीला का विश्राम हो गया।
—एक क्षण के लिए रामलीला में दिव्य अनुभूति
लीलाप्रेमी धूपचंडी बलभद्र काॅलोनी निवासी संजय पांडेय टीटू गुरू,जगतगंज के डॉ. मृदुल मिश्र,सुशील पांडेय,विवेक बताते हैं कि काशी के नाटी इमली भरत मिलाप को लेकर लोगों में ऐसा विश्वास है कि स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम कुछ क्षण के लिए यहां अवतरित होते हैं। अनूठी निर्मल भाव निहित इस पांच मिनट की अलौकिक रामलीला को निहारने के लिए भारत ही नहीं, विदेशों तक से श्रद्धालु आते हैं। रामचरित मानस के उत्तरकांड की चौपाई की पंक्तियां ‘परे भूमि नहिं उठत उठाए। बर करि कृपासिंधु उर लाए। स्यामल गात रोम भए ठाढ़े। नव राजीव नयन जल बाढ़े। यहां जीवंत दिखायी देती है।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी
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