1932 में बीजारोपित एमपी शिक्षा परिषद अब विराट वटवृक्ष : सीएम योगी
--एमपी शिक्षा परिषद की नींव के पीछे थी गुरु भक्ति : सीएम योगी
गोरखपुर, 10 दिसम्बर (हि.स.)। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 93वें संस्थापक सप्ताह समारोह के मुख्य महोत्सव में गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिषद के संस्थापक अपने दादागुरु और इसके विस्तारक अपने गुरुदेव का भावपूर्ण स्मरण भी किया। उन्होंने कहा कि 1932 में महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने जिस महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का बीजारोपण किया और जिसे गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने पल्लवित व पुष्पित किया, आज वह वटवृक्ष बन चुका है।
सीएम योगी ने बताया कि शिक्षा परिषद की नींव के पीछे गुरु भक्ति थी। देश और धर्म के लिए जीवन समर्पित करने वाले मेवाड़ राजवंश में जन्मे दिग्विजयनाथ जी महाराज पांच वर्ष की उम्र में ही गोरखपुर आ गए। उनकी शिक्षा दीक्षा गोरक्षपीठ से आगे बढ़ी। सीएम ने बताया कि वर्ष 1930-31 के आसपास एक स्थिति ऐसी आई कि दिग्विजयनाथ महाराज के स्कूली गुरु जिस विद्यालय में पढ़ाते थे, वहां से उन्हें निष्कासित कर दिया गया। जब उनको जानकारी हुई तो अपने गुरु के सम्मान के लिए उन्होंने जिस स्कूल की नींव रखी, वही आज महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के विराट वृक्ष के रूप में हम सब के सामने है।
--संकट में महापुरुषों के नाम से मिलती है प्रेरणा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा महाराणा प्रताप शिक्षा शिक्षा को राष्ट्रीयता और मूल्य परकता से जोड़कर समग्र विकास का माध्यम बनाया है। पहले दिन से इस अभियान को लेकर के महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद आगे बढ़ी। इसके लिए लक्ष्य रखा गया महाराणा प्रताप जैसे स्वदेश और स्वधर्म के लिए समर्पित महायोद्धा को अनवरत याद करते रहने का। सीएम ने कहा कि देश जब भी संकट में होता है, धर्म के सामने जब भी संकट आता है, तब हर भारतीय महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, गुरु गोविंद सिंह महाराज का नाम श्रद्धा और पूरे विश्वास के साथ लेता है। ये नाम चुनौती का सामना करने के लिए हमेशा प्रेरणा होते हैं।
--अभिमान नहीं, लोक कल्याण का कारक बने संस्था
देश जब गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था तब गुलामी की बेड़ियों से मुक्ति के लिए किस प्रकार की शिक्षा और आदर्श हमें चाहिए, महंत दिग्विजयनाथ ने इस ध्येय से महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का बीजारोपण किया। उनका विचार था कि संस्था अभिमान नहीं, बल्कि लोक कल्याण का कारक बनना चाहिए। यही कारण है कि जब गोरखपुर में विश्वविद्यालय की स्थापना की बात आई तो गोरक्षपीठ और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद ने आगे आकर अपनी संस्थाएं प्रदेश सरकार को दीं। इससे गोरखपुर विश्वविद्यालय का शुभारम्भ हो पाया।
--तकनीकी और महिला शिक्षा को लेकर भी शिक्षा परिषद संवेदनशील
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद महिला शिक्षा और तकनीकी शिक्षा को लेकर भी संवेदनशील है। कहा कि हम आज महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं जबकि महंत दिग्विजय नाथ महाराज ने 1953-54 में ही महाराणा प्रताप महिला कॉलेज की स्थापना गोरखपुर में करवा दी थी। तकनीकी शिक्षा के लिए 1956 में महाराणा प्रताप टेक्निकल इंस्टिट्यूट की स्थापना की जो आज महाराणा प्रताप पॉलिटेक्निक और महाराणा प्रताप इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के रूप में है।
--शिक्षा और सेवा के प्रकल्पों को आगे बढ़ा रही हैं परिषद की संस्थाएं
सीएम योगी ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज द्वारा महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का जो बीजारोपण किया गया था, उसको पल्लवित-पुष्पित करने का कार्य मेरे गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने किया। आज महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद अपने सभी पदाधिकारियों, सभी संस्थाओं के सहयोग से शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीकी शिक्षा, कृषि शिक्षा और सेवा के प्रकल्पों को आगे बढ़ा रही है।
--संस्थापकों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन व राष्ट्र के प्रति दायित्वों का माध्यम हैं परिषद के कार्यक्रम
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के कार्यक्रम अपने संस्थापकों के प्रति कृतज्ञता स्वरूप विनम्र श्रद्धांजलि तो हैं ही, समाज और अपने राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्वों के निर्वहन का भी माध्यम हैं। उन्होंने कहा कि नागरिक अधिकारों की चर्चा तो अक्सर होती है लेकिन समाज और राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों पर चर्चा नहीं होती। इन कर्तव्यों से विमुखता कहीं न कहीं समाज के पिछड़ने का भी कारण बनती है। परिषद की संस्थाएं कर्तव्यों का भान कराती हैं।
--वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह
समारोह में, मुख्य अतिथि उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह का स्वागत और अभिनंदन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्री सिंह ने अपनी रचनात्मक गतिविधि के माध्यम से उत्तराखंड राज्य को एक नई दिशा दी है। वहां के शिक्षण और उच्च शिक्षा के संस्थान हों, पर्यटन के विकास से जुड़े हुए मुद्दे हों, पर्यावरण से जुड़े हुए मुद्दे हों, अन्नदाता किसानों और बागवानों के कल्याण के लिए होने वाले कार्यक्रम हों, या फिर वीर भूमि और देवभूमि के वीर सैनिकों तथा उनके परिजनों के कल्याण से जुड़े कार्यक्रम, राज्यपाल श्री सिंह का उनके साथ एक बेहतरीन संवाद है। वहां की विभिन्न प्रकार की सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक भौगोलिक, पर्यावरणीय मुद्दों को लेकर उन्होंने अभिनव प्रयास किए हैं। लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय

