क्रियायोग की शिक्षा से मनुष्य सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त : सत्यम् योगी

क्रियायोग की शिक्षा से मनुष्य सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त : सत्यम् योगी
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क्रियायोग की शिक्षा से मनुष्य सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त : सत्यम् योगी


--क्रियायोग के दस मिनट अभ्यास से बीस वर्ष का विकास

प्रयागराज, 07 फरवरी (हि.स.)। जाने-अनजाने में यदि हम असत्य व अधर्म के साथ हैं तो अनेक कष्ट होंगे। भय, अभाव, मानसिक व शारीरिक बीमारियों से ग्रसित रहेंगे। ईमानदारी और आनंदपूर्वक क्रियायोग अभ्यास से व्यक्ति गहरी शांति और अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेता है और वह महसूस करता है कि दुनिया में कुछ भी असम्भव नहीं है। जो व्यक्ति निरंतर अभ्यास में समर्पित है, वह शरीर और मन की सभी बीमारियों को ठीक करने में सक्षम है। क्रियायोग की शिक्षा से मनुष्य सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त हो जाते हैं।

उक्त विचार माघ मेले के अक्षयवट मार्ग पर स्थित क्रियायोग शिविर में स्वामी योगी सत्यम् ने बुधवार को व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि मृत्युंजय महाबाबा जो अवतार के अवतार हैं। जिस शरीर में अवतरित हुए, वही अभी तक अत्यन्त युवा के रूप में दर्शन देते हैं। उन्होंने ही सतयुग में प्रहलाद को दीक्षा दी थी और इस युग में श्यामाचरण को 1861 में दीक्षा दिये थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान युग आज भी द्वापर युग का 324वॉं वर्ष चल रहा है और 4001 ईसवी के बाद त्रेता युग प्रारम्भ होगा।

सत्यम् योगी ने कहा कि वर्तमान समय में वह सभी जो कलिकाल (कलयुग) के रूप में स्वीकार करके तद्नुसार जीवन व्यतीत करते हैं, वे सभी प्रकार की बीमारियों से पीड़ित होंगे। इसलिए प्रयाग के मेला क्षेत्र में जहां प्रतिवर्ष विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक समूह का आयोजन होता है। ऐसे पावन स्थल पर यदि व्यक्ति क्रियायोग अभ्यास करता है तो उसे अनुभव होता है कि कुछ भी असम्भव नहीं है।

उन्होंने कहा कि मृत्युंजय महावतार बाबाजी ने अपने अति विनम्र और अध्यात्म की उच्चतम अवस्था पर आसीन शिष्य योगावतार लाहिड़ी महाशय को ’क्रियायोग’ प्रदान किये। इसके अभ्यास से एक ही जन्म में मनुष्य अज्ञानता से मुक्त होकर परमसत्य (कैवल्य अवस्था) का दर्शन कर अनुभव करता है कि परब्रह्म स्वयं पूरे ब्रह्मांड के रूप में प्रकाशित हो रहे है। ऐसी स्थिति में स्पष्ट होता है कि मृत्यु व मृत्युलोक का अस्तित्व नहीं है, केवल जीवन, आनंद एवं अमरता का अस्तित्व है। अंत में उन्होंने कहा कि क्रियायोग के निरंतर दस मिनट के अभ्यास से बीस वर्ष का विकास सम्भव है। इस अवसर पर भारत के साथ कनाडा, अमेरिका, स्विट्ज़रलैंड, ब्राज़ील, यूरोप, सिंगापुर, आयरलैंड, इटली, स्कॉटलैंड, नेपाल, यूक्रेन आदि देशो के लोग उपस्थित रहे।

--शिविर दूर होने से भक्तों में क्षोभ व्याप्त

क्रियायोग का शिविर प्रत्येक वर्ष त्रिवेणी मार्ग पर गंगाजी के ठीक किनारे लगता रहा है। जिससे भक्तों को आसानी होती थी। लेकिन इस बार मेला प्रशासन ने वहां शिविर नहीं दिया, जिससे भक्तों में क्षोभ व्याप्त है। भक्तों ने कहा कि इतनी दूर आने-जाने में बड़ी परेशानी होती है। इस बारे में सत्यम् योगी ने पूछे जाने पर बताया कि त्रिवेणी मार्ग पर 1987 से शिविर लगता रहा है। लेकिन इस वर्ष मेला प्रशासन उन्हें मेले से काफी दूर कर दिया था। लोगों के आक्रोश को देखते हुए अक्षयवट मार्ग पर स्थापित कर दिया, लेकिन दूर होने के कारण यहां भी परेशानी होती है।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/पदुम नारायण

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