तपोभूमि चित्रकूट में रामनवमी पर होगा दो दिवसीय रामोत्सव का मंगलवार से होगा आगाज
- उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग की सहभागिता से आयोजन को यादगार बनाने की तैयारी
चित्रकूट,15 अप्रैल (हि.स.)। संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा रामनवमी के पावन अवसर पर तपोभूमि चित्रकूट में दो दिवसीय राम उत्सव का भव्य आयोजन किया जाएगा। जिसमें देश के जाने-माने भजन गायक, नृत्य-नाटिका कलाकारों की प्रस्तुति के साथ स्थानीय लोक कलाकारों की भी प्रस्तुति होगी। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश लोक जनजाति एवं संस्कृति संस्थान, संस्कृति विभाग के द्वारा चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय के साथ मिलकर जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
कार्यक्रम के संयोजक के रूप में संगीत नाटक अकादमी के सदस्य डॉक्टर गोपाल कुमार मिश्रा ने सोमवार को बताया कि रामोत्सव का यह कार्यक्रम दो दिवसीय उत्सव के रूप में 16 एवं 17 अप्रैल को क्रमशः आयोजित होगा। पहले दिन 16 अप्रैल को जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय के अष्टावक्र सभागार में पूर्वाहन साढ़े 11 बजे परम पूज्य जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य के द्वारा कार्यक्रम का उद्घाटन होगा और उनका आशीर्वचन प्राप्त होगा। इसके बाद सायं काल छह बजे से अष्टावक्र सभागार में भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। इसमें शोभना नारायण नई दिल्ली की नृत्य नाटिका, वीना देवी प्रयागराज का ढेढिया नृत्य, रानी सिंह मिर्जापुर का कजरी गायन, सुखराम मानिकपुर चित्रकूट का कोल्हाई, टिप्पा एवं जवरा नृत्य, बूटी देवी चित्रकूट मानिकपुर का कर्मा एवं राई नृत्य तथा विश्वविद्यालय के दिव्यांग छात्र-छात्राओं की सांगीतिक प्रस्तुतियां देंगी।
इसके बाद अगले दिन 17 अप्रैल को रामनवमी के पावन अवसर पर रामोत्सव का भव्य आयोजन चित्रकूट रामघाट आरती स्थल पर किया जाएगा। जिसमें मुख्य कलाकार के रूप में मुंबई के सुप्रसिद्ध गायक अर्णव कुमार चटर्जी, उषा गुप्ता मिर्जापुर का कजरी गायन, सूफिया मिर्जापुर का लोकगीत, सोना सोनभद्र का गरद बाजा, वीना देवी प्रयागराज का ढेढिया नृत्य तथा स्थानीय कलाकार के रूप में मोहित तिवारी पहाड़ी चित्रकूट का भजन गायन प्रस्तुति देंगे।
कार्यक्रम को स्थानीय रूप से सहयोग करते हुए दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर शिशिर कुमार पांडे ने संस्कृति विभाग को आयोजन के लिए बधाइयां दी। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन से चित्रकूट में एक सांस्कृतिक वातावरण निर्मित होगा। रामोत्सव का आयोजन चित्रकूट में किया जाना सर्वथा प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि हमारे विभिन्न लोक कलाओं के साथ मुंबई दिल्ली से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों का मंचन चित्रकूट में होना हम सभी के लिए गौरव की बात है। इसके साथ ही चित्रकूट के मानिकपुर पहाड़ी और स्थानीय अंचलों के कलाकारों को भी ऐसे प्रतिष्ठित मंचों पर प्रस्तुति का अवसर देना, यह विश्वविद्यालय की भी प्राथमिकता है। विश्वविद्यालय के दिव्यांग प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को मंच प्रदान कर विश्वविद्यालय उनके व्यक्तित्व विकास के लिए सतत प्रयत्नशील रहता है। इसलिए ऐसे आयोजनों में विश्वविद्यालय संस्कृति विभाग के साथ बढ़-चढ़कर सहयोग करता है और आगे भी करता रहेगा।
स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम के संयोजक के रूप में संगीत नाटक अकादमी के सदस्य डॉक्टर गोपाल कुमार मिश्रा ने बताया कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण के बाद पूरे देश में श्री राम के प्रति एक आस्था और भक्ति का वातावरण निर्मित हुआ है। चित्रकूट सदैव से भगवान श्री राम के प्रति आस्था की सर्वाधिक प्रतिष्ठित भूमि रही है। भगवान राम भी यहां आकर जन-जन के राम बने थे और जब भगवान राम का वनवास पूर्ण हुआ था तो चित्रकूट के आम जनमानस भी उनके राज्याभिषेक में आमंत्रित हुए थे। इसलिए आज जब एक लंबे अंतराल के बाद अयोध्या में पुनः भगवान राम अपने महल में विराजमान हुए हैं तो निश्चित रूप से चित्रकूट के लोग भी इससे अत्यंत आह्लादित हैं। इसलिए भगवान राम के इस दिव्य उत्सव रामोत्सव का आयोजन चित्रकूट में किया जाना सर्वाधिक स्वागत योग्य प्रयास है।
डॉक्टर मिश्रा ने कहा कि अयोध्या में एक लंबा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन हुआ और अब चित्रकूट की बारी है। वह चाहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बात हो या चित्रकूट के सांस्कृतिक स्वरूप को स्थापित रखते हुए इसको विश्व के मानचित्र पर पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की बात हो। इस रूप में चित्रकूट के लोग पूर्णतया तैयार हैं। अब चित्रकूट का भी वैभव विश्व पटल पर स्थापित होना चाहिए। इसका एकमात्र उपाय है कि चित्रकूट के वन और कूट अर्थात पर्वतों को संरक्षित करते हुए यहां के प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर को संपूर्ण विश्व के समक्ष सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से रखा जाए। रामोत्सव का आयोजन इस दिशा में एक सकारात्मक पहल है, क्योंकि यह कार्यक्रम लोक एवं जनजातीय संस्कृति संस्थान की ओर से आयोजित है। चित्रकूट के जो जनजातीय वर्ग के कला साधक हैं उनको भी इस कार्यक्रम के माध्यम से संस्थान से जोड़कर न केवल चित्रकूट अपितु चित्रकूट के बाहर भी मंच पर प्रस्तुति देने का अवसर प्रदान किया जाएगा।
डॉक्टर मिश्रा ने चित्रकूट के समस्त प्रबुद्ध वर्ग के साथ ही आम जनमानस को भी 16 एवं 17 के इस कार्यक्रम के आयोजन में सादर आमंत्रित करते हुए अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर इसे जीवंत बनाने के लिए आवाहन किया है। हम सभी लोग मिलकर एक सुसंस्कृत चित्रकूट के निर्माण में सहयोगी बने और चित्रकूट की सांस्कृतिक विरासत को विश्व पटल पर प्रतिस्थापित कर सकें।
हिन्दुस्थान समाचार/रतन
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।