काशी तमिल संगमम—4: तमिल मेहमानों ने बीएचयू के भारत कला भवन को देखा

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काशी तमिल संगमम—4: तमिल मेहमानों ने बीएचयू के भारत कला भवन को देखा


काशी तमिल संगमम—4: तमिल मेहमानों ने बीएचयू के भारत कला भवन को देखा


—भवन में दक्षिण भारतीय कला–संस्कृति की समृद्ध धरोहर को गहराई से समझा

वाराणसी,06 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चल रहे काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण में भाग लेने आए तमिल मेहमानों ने शनिवार अपरान्ह भारत कला भवन, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में भ्रमण किया। सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक भ्रमण में मेहमानों ने कला भवन में दक्षिण भारतीय कला–संस्कृति की समृद्ध धरोहर को गहराई से समझा, जिसमें विशेष रूप से प्रसिद्ध चोल कांस्य प्रतिमा, भव्य नटराज मूर्ति, और दक्षिण भारत की उत्कृष्ट शिल्प परंपरा प्रमुख आकर्षण रही।

प्रतिनिधियों ने मालवीय वीथिका का भी अवलोकन किया, जहां उन्होंने भारत रत्न पं. मदन मोहन मालवीय के जीवन, कार्य एवं राष्ट्रीय योगदान से संबंधित दुर्लभ अभिलेख, चित्र एवं कलाकृतियों का अध्ययन किया। इस वीथिका ने उन्हें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना, भावना और महामना के दूरदृष्टि भरे कार्यों से परिचित कराया। साथ ही प्रतिनिधियों ने वर्तमान में आयोजित विशेष प्रदर्शनी “गंगा–कावेरी समप्रवाह” का भी भ्रमण किया। इस प्रदर्शनी में गंगा और कावेरी—दो महान नदियों की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और कलात्मक कड़ियों को दर्शाया गया है, जिसे उन्होंने अत्यंत रुचि एवं प्रशंसा के साथ देखा। इसके अतिरिक्त उन्होंने काशी और तमिलनाडु के वस्त्र एवं बुनाई की समृद्ध परंपराओं को देखा। बनारसी साड़ी में गंडभेरुंड का प्रदर्शित सुंदर शिल्प–चित्रण ने उत्तर और दक्षिण भारत की साझा कलात्मक विरासत को और भी जीवंत रूप से उनके सामने प्रस्तुत किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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