नाम बहुत बड़ा भ्रम है, इसके पीछे नहीं भागना चाहिए : प्रयाग शुक्ल
--आपका कर्म आपकी पहचान बनता है
--इविवि में भारतीय समकालीन कला विषय पर परिचर्चा
प्रयागराज, 28 फरवरी (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दृश्य कला विभाग में आयोजित कार्यक्रम में आए सुप्रसिद्ध कला समीक्षक, कवि एवं साहित्यकार प्रयाग शुक्ल ने कहा कि नाम बहुत बड़ा भ्रम है, इसके पीछे नहीं भागना चाहिए। सिर्फ आपका कर्म आपकी पहचान बनता है।
दृश्य कला विभाग में बुधवार को भारतीय समकालीन कला विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रयाग शुक्ल ने अपने विचार छात्र-छात्राओं संग साझा किया। उनका कहना था कि ‘मैं यहा ऊर्जा लेने आया हूं।’ उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि चित्रों को कैसे देखा व महसूस किया जाये। निरंतर कला कार्य में व्यस्त रहना चाहिए, नाम बहुत बड़ा भ्रम है, इसके पीछे नहीं भागना चाहिए। उनके द्वारा कलाकृति बनाते समय कलाकार के मूड की व्याख्या इस प्रकार की गयी ‘कलाकार की मनोस्थिति क्या होती है, कलाकार दुःख की बात भी आनंद के साथ रचता है।’
भारतीय समकालीन कला के विचार को लेकर विभाग के छात्र-छात्राओं ने प्रयाग शुक्ल के समक्ष उत्साह के साथ अपनी जिज्ञासाएं प्रकट की। जैसे उप्र में भारतीय समकालीन कला का महत्व, इंजीनियर और कलाकार में क्या समानता है, कलाकार की कृति को कैसे समझें आदि। विभागाध्यक्ष प्रो. अजय कुमार जैतली ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। इस परिचर्चा का संचालन डॉ. सचिन सैनी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अदिति पटेल ने किया। दृश्य कला विभाग के डॉ. संदीप कुमार मेघवाल, पुरातन छात्र पवन कुमार, शोधार्थी धर्मेंद्र कुमार, मंजू यादव, पूजा कुशवाहा, रेनू जायसवाल, आकांक्षा कश्यप, अपर्णा, अनुराग यादव आदि उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/डॉ. कुलदीप
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