आईआईटी कानपुर के सहयोग से खोजा गया सुपर जुपिटर ग्रह

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आईआईटी कानपुर के सहयोग से खोजा गया सुपर जुपिटर ग्रह


— आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर खगोलविदों की अंतरराष्ट्रीय टीम का रहे हिस्सा

— जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का उपयोग करके डायरेक्ट इमेजिंग तकनीक के माध्यम से खोजा गया

कानपुर, 25 जुलाई (हि.स.)। खगोलविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने सूर्य के समान एक नजदीकी तारे की परिक्रमा करने वाले एक विशाल ग्रह की खोज की है। Epsilon Indi A ग्रह को सुपर-जुपिटर के रुप में वर्गीकृत किया गया है, जो बृहस्पति से द्रव्यमान के मामले में कम से कम छह गुना अधिक है, जो इसे हमारे सौर मंडल के किसी भी ग्रह से काफी बड़ा बनाता है। यह प्रत्यक्ष इमेजिंग तकनीक का उपयोग करके खोजा जाने वाला पहला परिपक्व एक्सोप्लैनेट (हमारे सौर मंडल से परे एक ग्रह) है। खगोलविदों की इस अंतरराष्ट्रीय टीम में कानपुर आईआईटी के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रशांत पाठक भी रहे। इस खोज और इसके पीछे के अनुसंधान का विवरण विश्व की अग्रणी बहुविषयक विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित किया गया है।

आईआईटी की मीडिया प्रभारी रुचा खेडेकर ने गुरुवार को बताया कि जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के मिड-इंफ्रारेड उपकरण का उपयोग करते हुए खगोलविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने K5V-प्रकार के तारे Epsilon Indi A (जिसे HD 209100 या HIP 108870 के नाम से भी जाना जाता है) की परिक्रमा कर रहे एक नए बाह्यग्रह का प्रत्यक्ष चित्र लिया है। निकटवर्ती परिपक्व बाह्यग्रह का प्रत्यक्ष चित्रण, अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अप्रत्यक्ष तरीकों से किसी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव या उसके होस्ट तारे के सामने से गुज़रने पर तारों की रोशनी के मंद होने के माध्यम से उसके अस्तित्व का अनुमान लगाया जाता हैं, जबकि प्रत्यक्ष इमेजिंग खगोलविदों को सीधे एक्सोप्लैनेट का निरीक्षण करने की सुविधा प्रदान करता है। यह सफलता उच्च संवेदनशीलता, अवरक्त क्षमताओं और उन्नत इमेजिंग तकनीकों के अपने अद्वितीय संयोजन के साथ JWST की अविश्वसनीय क्षमताओं को दर्शाती है। इस तरह की प्रगति भविष्य की खोजों का मार्ग प्रशस्त करती है और दूर अंतरिक्ष के रहस्यों को उजागर करने की हमारी खोज को मजबूती प्रदान करती है।

उन्हाेंने बताया कि नया खोजा गया ग्रह हमसे 12 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। यह ग्रह काफी ठंडा है, जिसका तापमान लगभग -1°C (30°F) है। इसकी कक्षा भी बहुत बड़ी है, और यह अपने तारे की परिक्रमा हमारी पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी से 28 गुना अधिक दूरी पर करता है।

आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि यह खोज एक्सोप्लेनेट शोध में एक प्रमुख मील का पत्थर है और भविष्य की खोजों के लिए मंच तैयार करती है, जिससे हम अपने ग्रह प्रणालियों से परे रहस्यों को उजागर करने के एक कदम और करीब आ जाते हैं। हमारे नजदीकी ग्रह की सीधे छवि लेने में सक्षम होना गहन अध्ययन के लिए एक अभूतपूर्व अवसर प्रदान करता है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ मिलकर डॉ. प्रशांत पाठक का काम अंतरिक्ष के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाने में आईआईटी कानपुर के वैश्विक योगदान को उजागर करता है।

शोध दल के प्रमुख सदस्य व आईआईटी के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रशांत पाठक ने बताया कि यह खोज रोमांचक रही, क्योंकि इससे हमें ऐसे ग्रहों के बारे में और अधिक जानने का मौका मिलता है जो हमारे अपने ग्रहों से बहुत अलग है। इस ग्रह के वायुमंडल में एक असामान्य संरचना प्रतीत होती है जो हमारे अपने सौर मंडल के ग्रहों की तुलना में उच्च धातु सामग्री और एक अलग कार्बन-से-ऑक्सीजन अनुपात को इंगित करती है। इससे इसके निर्माण और विकास के बारे में दिलचस्प सवाल उठते हैं। Eps Ind Ab और अन्य नजदीकी एक्सोप्लैनेट का अध्ययन करके, हम ग्रहों के निर्माण, वायुमंडलीय संरचना और हमारे सौर मंडल से परे जीवन की संभावना के बारे में और गहरी समझ हासिल करने की उम्मीद करते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह / राजेश / बृजनंदन यादव / राजेश

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