गड़ौली धाम में तुलसी विवाह में भाग नहीं ले पाये सुनील ओझा
वाराणसी, 29 नवम्बर(हि.स.)। उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व सहप्रभारी और वर्तमान में बिहार भाजपा के सह प्रभारी सुनील ओझा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी से गहरा लगाव था। निधन के पूर्व ओ.एस.बालकुन्दन फाउंडेशन के संस्थापक एवं बिहार प्रदेश भाजपा के सहप्रभारी सुनील ओझा मिर्जापुर जनपद में स्थित गड़ौली धाम में आए थे। यहां सुनील ओझा के नेतृत्व में देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन अंतरराष्ट्रीय दीपोत्सव एवं तुलसी विवाह समारोह का भव्य आयोजन किया गया था। आयोजन के एक दिन पूर्व ही उनकी तबियत बिगड़ गई और उन्हें कैंट स्थित भाजपा नेता के अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत बिगड़ने पर उन्हें मेदांता गुरूग्राम में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान भाजपा नेता का निधन हो गया।
सुनील ओझा के बीमारी के बाद भी उनके करीबी नेताओं ने आयोजन का भार अपने कंधे पर ले लिया। आयोजन में पार्टी के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा हुआ था। प्रबोधिनी एकादशी पर माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह रीति-रिवाज के साथ सम्पन्न हुआ। हनुमान मंदिर से बारात निकली तो श्रद्धालुओं का समूह बाराती बने। बैंड-बाजे की धुन पर झूमते बाराती और गूंजते मंगलगीत। बारातियों का समूह गाजे-बाजे के साथ नाचते झूमते हुए वैवाहिक स्थल पर पहुंचा और विधि-विधानपूर्वक वैवाहिक कार्यक्रम में सम्मिलित होकर आध्यात्मिक सुख को प्राप्त किया। कार्यक्रम में कथावाचक रमेश भाई ओझा ने शिव चरित आधारित रामकथा सुना मौजूद लोगों को भाव विभोर कर दिया। गड़ौली धाम में सुनील ओझा ने तुलसी विवाह के मौके पर एक दिया राम के नाम- चलो चलें गड़ौली धाम तुलसी के नाम की कल्पना की, उनकी इस कल्पना का ग्रामीणों को जैसे ही पता चला। लोगों ने अपनी पूरी आस्था के साथ इसमें शिरकत किया। इस कार्यक्रम के पूर्व सुनील ओझा ने गड़ौली धाम में 17 नवम्बर को पत्रकारों से बातचीत भी की थी।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/बृजनंदन
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