शोध में भारतीय दृष्टि का होना आवश्यक : प्रो. आनंद शंकर सिंह
-भारत में ज्ञान की परम्परा और उसकी पोषणीयता लम्बे अरसे से कायम
प्रयागराज, 12 जून (हि.स.)। ईश्वर शरण पीजी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से रिसर्च डिजाइन पर जारी समर स्कूल के तहत कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आनंद शंकर सिंह ने कहा कि शोध में भारतीय दृष्टि का होना आवश्यक है। भारत में ज्ञान की परम्परा और उसकी पोषणीयता लम्बे अरसे से कायम रही है।
प्राचार्य ने शोधार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ऋग्वेद के नाषदीय सूत्र में मनुष्य के सौ वर्ष तक ज्ञान प्राप्ति की पिपासा बनी रहने की बात की गई है। भारतीय ज्ञान मीमांसा में भौतिक सत्ता से पारमार्थिक सत्ता की ओर ज्ञान का प्रवाह माना गया है।
प्रो. आनंद शंकर ने पश्चिम की ज्ञान दृष्टि में शामिल कार्य कारण सम्बंधों की सीमाओं को भी उद्धृत किया। उन्होंने शोधार्थियों को अपने शोध कार्य के दौरान प्रस्तावना में किन बिंदुओं की शामिल किया जाए, साहित्य की समीक्षा किस प्रकार की जाए, रिसर्च गैप को चिन्हित करने और परिकल्पना तथा आंकड़ों के विश्लेषण के जरिए ज्ञान की स्थापना की ओर बढ़ने की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से वर्णित किया।
इस दौरान राजनीति विज्ञान विभाग के समन्वयक डॉ. शिवहर्ष सिंह ने शोध में सिद्धांत की भूमिका पर कहा कि सिद्धांत सत्य की व्यक्तिपरक खोज है। उन्होंने सामाजिक विज्ञानों में सिद्धांत के पतन के बौद्धिक विमर्श की ओर इशारा किया। उन्होंने यह भी कहा कि शोध को आंकड़ों से समर्थित और सिद्धांत से प्रशिक्षित होना चाहिए।
इस अवसर पर राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. विवेक राय और डॉ. अंकित पाठक समेत कॉलेज के शोधार्थी क्रमशः मनीष कुमार, मुकेश कुमार, रवि मिश्रा, शिवानी मोदी, प्रतीक मिश्रा, सूरज कुमार, शिवम त्रिपाठी, अमीर अंसारी, गौरव कुमार, सनी कुमार, कौशलेंद्र शुक्ला, अनुराग सिंह, वृजेश कुमार आदि उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम
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