मॉक ड्रिल में छात्रों ने सीखी सुरक्षा की एबीसीडी

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मॉक ड्रिल में छात्रों ने सीखी सुरक्षा की एबीसीडी


मॉक ड्रिल में छात्रों ने सीखी सुरक्षा की एबीसीडी


मॉक ड्रिल में छात्रों ने सीखी सुरक्षा की एबीसीडी


लखीमपुर खीरी, 7 मई (हि.स.)। खतरे बताकर नहीं आते लेकिन तैयारी हमें हर आपदा से पहले खड़ा कर सकती है। इसी सोच के साथ राजकीय इंटर कॉलेज में आज एक विशेष मॉक ड्रिल और जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें छात्रों ने सीखा कि संकट की घड़ी में क्या करना है और सबसे पहले क्या नहीं करना है।

इस जागरूकता कार्यक्रम में डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल, एसपी संकल्प शर्मा, सीडीओ अभिषेक कुमार, एएसपी पवन गौतम, प्रशिक्षु आईएएस सुश्री मनीषा ने एनसीसी, एनएसएस कैडेट्स, शिक्षकगण और अनेक विद्यालयों के उपस्थित छात्र-छात्राएं को जागरूकता पोस्टर वितरित किए।

सुरक्षा सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, आदत बनानी होगी : डीएम

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने कहा कि बच्चों ये वह क्षण है जहाँ आप यह सीखते हैं कि आपात स्थिति में कैसे शांत रहें, दूसरों की मदद करें और अपने परिवार व समाज को सुरक्षित रखने की भूमिका निभाएं। हर छात्र, हर शिक्षक और हर नागरिक अगर अपनी जिम्मेदारी को समझे और निभाए तो किसी भी चुनौती को हम मिलकर सामना कर सकते हैं। इस अभ्यास को गंभीरता से लें, इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं, और सबसे अहम जो सीखा है उसे दूसरों को भी सिखाएं। क्योंकि जब पूरा समाज तैयार होता है, तब कोई संकट बड़ा नहीं होता।

ये खेल नहीं... तैयारी है! : एसपी

एसपी संकल्प शर्मा ने कहा कि इस मॉक ड्रिल का असली मकसद सिर्फ एक्टिंग करना नहीं, बल्कि हमारे दिमाग को तैयार करना है ताकि जब असली संकट आए, तो हम घबराएं नहीं, सही फैसले लें। हर छात्र को पता होना चाहिए कि सायरन बजे तो उसे कहां जाना है। बाईं ओर, दाईं ओर या खुले मैदान में। सिर्फ खुद ही न जानें, बल्कि जो सीखा है उसे अपने परिवार, पड़ोसियों और दोस्तों तक भी पहुंचाएं। क्योंकि सुरक्षा की शुरूआत जानकारी से होती है। हम चाहते हैं कि ये अभ्यास स्कूल जीवन का हिस्सा बने। हर स्कूल में महीने में कम से कम एक बार, बिना पूर्व सूचना के ऐसी ड्रिल जरूर हो, ताकि जिम्मेदारी, सतर्कता और सुरक्षा, सबका अभ्यास बना रहे।

अफवाह से नहीं, नेतृत्व से मिलेगी सुरक्षा : सीडीओ

सीडीओ अभिषेक कुमार ने कहा कि आपदा की घड़ी में सबसे घातक चीज होती है अफवाह। इसलिए बिना पुष्टि की खबरों को न मीडिया में फैलाएं, न सोशल ग्रुप्स में शेयर करें।हर कक्षा में दो-तीन छात्र ऐसे होने चाहिए जो संकट में नेतृत्व संभाल सकें। कौन दिशा देगा, कौन निकासी सुनिश्चित करेगा, कौन अंतिम व्यक्ति तक देखेगा। यह अभ्यास केवल सुरक्षा का नहीं, लीडरशिप का भी है। जब हर छात्र जानता है कि संघर्ष की घड़ी में क्या करना है,

तो वही छात्र आगे चलकर समाज को भी दिशा दे सकता है।

कार्यक्रम की शुरुआत में डीआईओएस डॉ महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य छात्रों को आपातकालीन स्थिति में त्वरित और संयमित प्रतिक्रिया सिखाना था।

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हिन्दुस्थान समाचार / देवनन्दन श्रीवास्तव

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