राज्य ललित कला अकादमी मूर्तिकारों को कर रही प्रोत्साहित : प्रो. अलका तिवारी

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राज्य ललित कला अकादमी मूर्तिकारों को कर रही प्रोत्साहित : प्रो. अलका तिवारी


राज्य ललित कला अकादमी मूर्तिकारों को कर रही प्रोत्साहित : प्रो. अलका तिवारी


राज्य ललित कला अकादमी मूर्तिकारों को कर रही प्रोत्साहित : प्रो. अलका तिवारी


मेरठ, 01 जनवरी (हि.स.)। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग में चल रही मूर्ति कला कार्यशाला में सोमवार को प्रो.अलका तिवारी ने कहा कि मूर्ति निर्माण प्राचीनतम कलाओं में से है, लेकिन आज भी यह युवाओं के लिए रोजगार का प्रमुख साधन है। ललित कला विभाग द्वारा इस क्षेत्र में आने को योजनाएं संचालित की जा रही है।

मूर्ति कला कार्यशाला में कार्यशाला संयोजिका प्रो. अलका तिवारी ने बताया पिछले 20 वर्षों में मूर्तियां बनाने वालों की संख्या लगभग 15 गुना बढ़ी है। इस क्षेत्र में डिग्री लेने वालों की संख्या लाखों में है। ऐसे युवाओं के लिए राज्य ललित कला अकादमी पर्याप्त प्रोत्साहन व साधन उपलब्ध करा रही है।

उन्होंने बताया कि एक सर्वेक्षण के मुताबिक, पिछले 20 वर्षों में भारतीय कलाकारों द्वारा निर्मित मूर्तियों की मांग हमारे देश के बाजारों में करीब 8 प्रतिशत और विदेशी बाजारों में 30 प्रतिशत बढ़ी है। पारंपरिक मूर्तियों की मांग स्थानीय बाजारों में तकरीबन 25 प्रतिशत और विदेशी बाजारों में 40 प्रतिशत बढ़ी है। ऐसे में राज्य ललित कला अकादमी कला एवं कलाकारों की प्रोन्नति एवं प्रोत्साहन की ओर निरंतर अग्रसर है।

उन्होंने बताया कि अकादमी कला जगत में उल्लेखनीय कार्य कर रही है। मूर्तिकारों को प्रदर्शनियों के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रही है। राज्य ललित कला अकादमी द्वारा कलाकारों को प्रोत्साहित करने की दिशा में की जा रही योजनाओं को समय-समय पर कार्यशाला में अवगत कराया जाएगा। जिससे हमारे विश्वविद्यालय के युवा भी इसका पर्याप्त लाभ उठा सके।

मूर्ति कला कार्यशाला के प्रवक्ता सलोनी त्यागी एवं आरुषि गर्ग द्वारा विद्यार्थियों को पारंपरिक मूर्ति कला का प्राथमिक प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने भारत की पारंपरिक मूर्ति कला की विशेषताओं से विद्यार्थियों को अवगत कराया। मूर्तिकार आकाश कुमार के दिशा निर्देशन में विद्यार्थियों ने प्रथम दिवस से प्रारंभ की गई मूर्तियों के विवरणों की बारीकी को उकेरा। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के अनेक विभागों से विद्यार्थियों ने कार्यशाला का अवलोकन कर युवा कलाकारों की सराहना की।

कार्यशाला में डॉ. शालिनी धामा, डॉ. पूर्णिमा वशिष्ठ, शालिनी त्यागी, सुदेश कुमार, आकाश कुमार, युगांशी शर्मा, कशिश, फैजा, अर्चिता, रिद्धिमा, गौरंगी, मानसी, तेजस, श्रेया, पायल, सार्थक, पीयूष, राहुल, आदित्य, यशस्वी, जयश्री आदि का योगदान रहा।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. कुलदीप/राजेश

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