रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर काशी में विशेष गंगा आरती,उमड़े श्रद्धालु

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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर काशी में विशेष गंगा आरती,उमड़े श्रद्धालु


रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर काशी में विशेष गंगा आरती,उमड़े श्रद्धालु


वाराणसी,22 जनवरी (हि.स.)। अयोध्या में जन्मस्थान पर बने भव्य मंदिर में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर बुधवार शाम प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति ने मां गंगा की विशेष आरती की। समिति के पदाधिकारियों और अर्चकों की देखरेख में मां गंगा की आरती परम्परानुसार हुई। दिव्य गंगा आरती में देश-विदेश के पर्यटकों के साथ स्थानीय लोग भी उमड़ पड़े। सांयकालीन गंगा आरती का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। आरती में सैकड़ों दीपकों की मनमोहक रोशनी, शंखनाद, घंटों की ध्वनि और भक्तों के जयघोष ने सम्पूर्ण घाट पर अध्यात्मिक नजारा दिखा। इस दौरान भगवान राम के भजनों और गंगा स्तुति ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष किशोरी रमण दुबे ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि प्राण-प्रतिष्ठा का यह दिन हमारे लिए गर्व और श्रद्धा का प्रतीक है। गंगा आरती के माध्यम से हम सभी ने भगवान राम और मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त किया है।

श्री काशी विश्वनाथ धाम में विशेष पूजा

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पहले वर्षगांठ पर श्री काशी विश्वनाथ दरबार में भव्य विशेष पूजा का आयोजन किया गया। यह पूजा धाम के शंकराचार्य चौक में श्रद्धापूर्वक संपन्न हुई। महाकुंभ पलट प्रवाह के दृष्टिगत धाम में किए गए बैरीकेडिंग प्रबंध के कारण पूजा में भक्तों की नियंत्रित संख्या उपस्थित रही। श्रद्धालुजन ने भक्ति भाव से श्री राम के चरणों में श्रद्धा अर्पित की। स्मरणीय है कि ग्रेगोरियन कैलेंडर वर्ष के दिनांक 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में श्री राम लला के नव निर्मित मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, जिसे सम्पूर्ण भारतवर्ष ने अत्यधिक श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया था। इस ऐतिहासिक अवसर की विक्रमी संवत् के अनुरूप पहली वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में अयोध्या धाम में आयोजन दस दिन पूर्व से ही प्रारंभ किए गए थे। सनातन श्रद्धालुजन की भावना के समादर में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने भी आज विशेष पूजा का आयोजन किया । इस अवसर पर सुंदर काण्ड पाठ के पश्चात श्री राम, मां जानकी, भगवान लक्ष्मण एवं पवनसुत हनुमान जी के सहस्रनाम हवन आहुति के साथ ही समस्त विशेष पूजा अर्चना की गई।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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