ऊसर भूमियों में गेहूं की उत्पादन तकनीक अपनाकर करें समय से बुवाई: डॉ. खलील खान
कानपुर, 14 नवम्बर (हि.स.)। गेहूं की बुवाई का समय आ गया है और कानपुर परिक्षेत्र में भी बहुत सी जमीन ऊसर है। इसको देखते हुए चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने कहा कि ऐसी जमीन पर गेहूं की उत्पादन तकनीक अपनाकर ही किसान भाई समय से बुवाई करें तभी अच्छा उत्पादन मिल सकता है।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से संबद्ध कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर के मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने ऊसर भूमियों में गेहूं उत्पादन की आधुनिक तकनीक विषय पर कृषकों हेतु एडवाइजरी जारी की। डॉ. खान ने बताया कि भारत में लगभग 6.73 मिलियन हेक्टेयर भूमि ऊसर प्रभावित है, जिसमें 3.77 मिलियन हेक्टेयर क्षारीय और 2.96 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र लवणीय है। उत्तर प्रदेश में 13.69 लाख हेक्टेयर भूमि ऊषर से प्रभावित है जिसमें मुख्य रूप से कानपुर नगर, कानपुर देहात, कन्नौज, इटावा, औरैया, उन्नाव, फर्रुखाबाद, कन्नौज,मैनपुरी सहित कई जनपद लवण तथा छार से प्रभावित है। उन्होंने बताया कि इन भूमियों में लवण सहनशील गेहूं की प्रजातियां एवं नवीनतम तकनीकों के संयोजन से उत्पादन में वृद्धि कर खाद्य सुरक्षा को सतत रूप से स्थायी करने में महत्वपूर्ण योगदान होगा। उन्होंने बताया कि उसर भूमि में हमेशा उचित नमी पर ही जुताई करें तथा बड़े-बड़े ढेलों को भुरभुरा कर दें तथा मृदा परीक्षण की संस्तुति के आधार पर 200 किलोग्राम जिप्सम प्रति हेक्टेयर अवश्य प्रयोग करें।
बीज की दर बढ़ाएं
मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने बताया कि ऊसर भूमियों में बीज का जमाव कम होता है। अतः संस्तुत मात्रा से सवा गुना ज्यादा अर्थात 115 से 120 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से अवश्य प्रयोग करना चाहिए। बीज का शोधन कार्बेंडाजिम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधन करने के बाद किसान भाई बुवाई करें। डॉ.खान ने किसानों को सलाह दी है कि वह उसर भूमियों में गेहूं की बुवाई 20 नवंबर तक अवश्य कर दें। बुवाई के दिनों में औसत तापमान 20 डिग्री सेल्सियस उत्तम होता है । डॉ. खान ने बताया कि बीज 5 सेंटीमीटर से अधिक गहराई में न डालें। उसर भूमियों हेतु गेहूं की प्रजातियाें की आर एल 210 एवं के आर एल 213 सर्वोत्तम है। उन्होंने बताया कि इन प्रजातियों का चयन कर किसान ऊसर भूमि में बुवाई कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय/सियाराम
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