साउथ एशिया एवं भारतीयों के एक ही थे पूर्वज: डॉ अजय पाठक
जौनपुर, 17 अगस्त (हि.स.)। तारतू विश्वविद्यालय इस्टोनिया एवं कल यूनिवर्सिटी बेल्जियम के वैज्ञानिक डॉक्टर अजय पाठक ने पूर्वांचल पुरातन छात्र संगठन इंटरनेशनल अफेयर में शनिवार काे अपने विचार व्यक्त किए। उन्हाेंने कहा कि मानव अफ्रीका में विकसित होने के बाद उनकी एक शाखा सत्तर हजार साल पहले भारत में आए, जो अंडमान निकोबार में स्थापित हो गए। उसके उपरांत भारत एवं साउथ एशिया में फैल गए। दूसरी शाखा अफ्रीका से होते हुए यूरोप में तथा रूस तक फैल गए। ऐसे साउथ एशिया एवं भारतीयों के पूर्वज एक ही थे।
डॉ अजय पाठक ने कहा कि सिंधु घाटी सभ्यता के समय विभिन्न जन जातियों के सिंधु एवं आसपास में अपनी परिस्थिति के हिसाब से विकसित होते गए। सिंधु घाटी के डीएनए का लगभग 99 प्रतिशत पूरे भारतवासियों के डीएनए से मैच करता है, जबकि भारत के विभिन्न भागों में जो भी विभिन्नताएं हैं वह पर्यावरणीय एवं परिस्थिति कारक है। विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो. राजेश शर्मा ने डॉ अजय पाठक को व्याख्यान के लिए धन्यवाद प्रस्तावित किया। इस अवसर पर प्रोफेसर प्रदीप कुमार, डॉ मनीष गुप्ता, डॉ एसपी तिवारी एवं व्याख्यान संयोजक डॉ संजीव कुमार मौर्य समेत विज्ञान संकाय के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव / शरद चंद्र बाजपेयी / मोहित वर्मा
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