दुष्ट आत्माओं से समाज को मिले मुक्ति, गंगाजल से विंध्यधाम का शुद्धिकरण
- गंगा जल से मंदिर की धुलाई से भूत, प्रेत. योगिनी, दुष्ट आत्माओं से मिलती है मुक्ति
मीरजापुर, 24 अप्रैल (हि.स.)। वैशाख कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर कालांतर से चली आ रही परंपरानुसार बुधवार को विंध्यवासिनी मंदिर पर वार्षिक घटाभिषेक किया गया। सर्वसमाज ने गंगा जल से मंदिर परिसर की धुलाई की। श्रद्धालुओं ने मा विंध्यवासिनी के चरणों में गंगा जल अर्पित किए। घटाभिषेक के बाद घंटा घड़ियाल, नगाड़ा, शहनाई, शंख और मां के जयकारे से धाम परिसर देवीमय हो रहा था।
चिलचिलाती धूप के बीच भक्त नंगे पांव पीतल, स्टील व मिट्टी का घड़ा लेकर पक्का घाट पहुंचे। वहां से गंगा जल भर कंधे पर रख मंदिर तक लाया गया और मंदिर परिसर की धुलाई की गई, ताकि दुष्ट आत्माओं से समाज को मुक्ति मिले, चहुंओर खुशहाली रहे। घटाभिषेक के दौरान कड़ी धूप के बीच गंगा घाट से मंदिर तक नंगे पांव पहुंचना, मां के प्रति अटूट आस्था और विश्वास का मिशाल दिखने को मिला। श्रद्धा-विश्वास के साथ भक्त गंगा में गोता लगाकर मिट्टी के पात्र घड़ा एवं विभिन्न जलपात्र में गंगा जल भरकर माता का नाम, ओम, स्वास्तिक बनाकर विभिन्न मंत्र लिखकर फूल-माला व कलावा बांध मां विंध्यवासिनी के दरबार में जलाभिषेक करने पहुंचे थे।
मंदिर की धुलाई का क्रम सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक चला। सभी लोग भक्तिभाव से विंध्यवासिनी मंदिर की धुलाई करने में मशगूल थे। मंदिर की धुलाई के दौरान मां विंध्यवासिनी देवी के गर्भगृह सहित अन्य देवी देवताओं का कपाट बंद कर दिया गया था। धुलाई के बाद विंध्यवासिनी मंदिर सहित सभी देवी देवताओं का श्रृंगार, पूजन व भव्य आरती की गई। इसके बाद दर्शनार्थियों के लिए कपाट खोल दिया गया।
इस घड़े का जल पीने से स्वस्थ रहते हैं लोग
मंदिर की धुलाई के बाद भक्त घड़े को घर ले गए। प्राचीन समय से ही मिट्टी के घड़े का जल चढ़ाने के बाद लोग अपने घर ले जाकर उस घड़े का पानी पूरे परिवार को पिलाते हैं। मान्यता है कि इस घड़े का जल पीने से लोग स्वस्थ रहते हैं। तमाम तरह की बीमारियां दूर होती हैं और माता का प्रकोप परिवार में नहीं होता। मां की कृपा पूरे परिवार पर बनी रहती है।
घटाभिषेक के बाद रात्रि में निकलेगी निकासी
वार्षिक घटाभिषेक के बाद रात्रि में निकासी निकाली जाएगी। जगह-जगह विराजमान देवी-देवताओं का पूजन-अर्चन किया जाएगा। इसके बाद निकासी अमरावती के दक्षिण तरफ टोकिया के पास पहुंचेगी, जहां पूजन के बाद मां विंध्यवासिनी का स्मरण कर सभी वापस लौट आएंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/मोहित
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