भाषाई स्तर पर समाज को संस्कारित करना जरूरी : श्रीबिलास सिंह
गाजियाबाद,11मार्च(हि.स.)।वरिष्ठ साहित्यकार श्रीबिलास सिंह ने कहा कि साहित्य सब की समझ की चीज नहीं है। यह ललित कलाओं में विशिष्ट है। लिहाजा लेखक का काम भी आसान नहीं है। लेखक का काम केवल कहानी लिखना और पढ़ना नहीं है ( उसका दायित्व समाज को संस्कारित करना भी है। आज के दौर में लेखक पर यह बड़ी जिम्मेदारी है कि वह समाज को भाषायी स्तर पर भी संस्कारित करे। संसार का सबसे वृहद शब्दकोश होने के बावजूद भाषाई स्तर पर हम विपन्न होते जा रहे हैं। संप्रेषण और सहजता के नाम पर हमने अपने वक्तव्य और लेखन में अंग्रेजी को समाहित कर दिया है। उन्होंने कहा कि एक साधारण आदमी के निजी शब्दकोश में दस हजार से अधिक शब्द होते हैं। फिर क्या कारण है कि आज के लेखन में दो ढाई हजार शब्दों में ही सिमट जाता है?
होटल रेडबरी में आयोजित कथा संवाद के मीना झा ने कहा कि हम जिस वर्तमान में जीते हैं वही समाज हमारी अनुभूति, कल्पनाशीलता और अभिव्यक्ति को शब्द देता है। साहित्य समाज का हित साधता है और कथा रंग की यह कार्यशाला कहीं न कहीं समाज का हित साध रही है। उन्होंने पढ़ी गई रचनाओं की मीमांसा भी की। अति विशिष्ट अतिथि डॉ. सुनीता ने कहा कि यह अच्छी बात है कि कहानी लेखन का शिविर आयोजित कर लोगों को लेखन के प्रति आकृष्ट किया जा रहा है। उन्होंने नवांकुरों को संबोधित करते हुए कहा कि लिखने के अनुपात में हमें दस गुना अधिक पढ़ना चाहिए और खुद का लिखा तो बार-बार पढ़ना चाहिए क्योंकि जब हम खुद को पढ़ते हैं तो हम खुद को ही दुरुस्त करते हैं।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ. निधि अग्रवाल ने कहा कि कहानी लेखक और पाठक की साझा यात्रा होती है। उन्होंने पढ़ी गई एक रचना के संदर्भ में कहा कि समाज को विभाजित करने और सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करने वाली रचनाएं दूर तक जाती हैं। जिसकी आज अधिक जरूरत है। संयोजक सुभाष संस्था के अध्यक्ष शिवराज सिंह ने कहा कि कथा संवाद में आने वालों के पास अनुभव एवं संस्मरणों का प्रचुर भंडार है। यहां उन्हें अभिव्यक्त करने के लिए संस्कारित करने की कोशिश की जाती है। आलोक यात्री, मीरा शलभ, सिनीवाली, तेजवीर सिंह, संजय भदोरिया, विरेन्द्र राठौर आदि ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन रिंकल शर्मा ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/फरमान अली/सियाराम
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