श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भवसागर से पार होता है : आचार्य व्योम त्रिपाठी

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श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भवसागर से पार होता है : आचार्य व्योम त्रिपाठी


श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भवसागर से पार होता है : आचार्य व्योम त्रिपाठी


मुरादाबाद, 18 दिसम्बर (हि.स.)। रामगंगा विहार स्थित सांई गार्डन में आठ दिवसीय श्रीमद्भागवत भक्ति ज्ञान यज्ञ महोत्सव के आठवें व अंतिम दिन गुरुवार को कथाव्यास आचार्य व्योम त्रिपाठी ने कहा कि आत्मा को जन्म व मृत्यु के बंधन से मुक्त कराने के लिए भक्ति मार्ग से जुड़कर सत्कर्म करना होगा। हवन-यज्ञ से वातावरण शुद्ध होने के साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है।

कथाव्यास ने आगे कहा कि श्रीमद्भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने से व्यक्ति के आचरण में भी बदलाव हो जाता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा की दिव्य महिमा ऐसी है जो मानव जीवन को समस्त सांसारिक बंधनों से मुक्त कर मोक्ष की ओर अग्रसर करती है। यह कथा केवल सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण करने वाली है और मनुष्य को ईश्वर से जोड़ने का सशक्त माध्यम है।

इस मौके पर विनोद गुप्ता, मीनू गुप्ता, नलिन गुप्ता, प्राची गुप्ता, डॉ शशि अरोड़ा, अशोक अरोड़ा, निमित जायसवाल,चिराग गुप्ता, चेरी गुप्ता, संगीता गुप्ता, गिरीश गुप्ता, गीता, ज्योति, संगीता, शालिनी, रेखा आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जायसवाल

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